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Special: अनंत विभूषित श्री रविशंकर महाराज आध्यत्मिक से आधुनिक दुनिया के लिए उद्धरण है : पूज्या हेमलता शास्त्री

श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में पूज्या साध्वी ने विद्यार्थियों और कर्मचारियों को दिए सफलता के मंत्र…

रायपुर। आज के समय में आसान कुछ नहीं है। हर कदम पर चुनौती है। कुछ भी पाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है। तभी सफलता मिलती है। हमें सफलता के लिए नए रास्ते बनाने होंगे और उसपर बेदाग चलने का प्रयास करना होगा। अपनी क्षमता और योग्यता के अनुरूप प्रयास करना जरूरी है। आपका जितना बड़ा लक्ष्य होगा उसके अनुसार आपकी क्षमता भी बन जाएगी।
उक्त विचार अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथा वाचिका साध्वी पूज्या हेमलता शास्त्री ने व्यक्त किए। वे गुरूवार को श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय, रायपुर के प्रेक्षागृह में विद्यार्थियों को संबोधित किया। विद्यार्थियों को मार्गदर्शित करते हुए पूज्या साध्वी हेमलता जी ने आत्मसंबोधन करते हुए कहा कि हम सब कुछ सीखने, बनने और पाने के लिए इस धरा पर आए हैं। इसके लिए निरंतर कोशिश करते रहना जरूरी है। हम सब अपने को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करें।

हम सभी को दुनिया को बनाने से पहले अपने को जोड़ने व बनाने का प्रयास करना चाहिए।साध्वी जी ने कहा कि जीवन में हमेशा जीत होगी ऐसा जरूरी नहीं है लेकिन हार को जीत बना लेने वाला ही विजेता कहलाता है। जब हम अपने मन को मीत बना लेंगे तभी जीत हासिल करेंगे। साध्वी जी ने कहा कि आप स्वयं अपना सर्वोत्तम मित्र हो सकते हैं। इसलिए अपने से दोस्ती करना सीखिए। अपने को प्रोत्साहित करने का प्रयास कीजिए। ईश्वर के साथ अपने आप पर भी विश्वास करें। ईश्वर उर्जा देते हैं पर मेहनत खुद करने होंगे। धरती पर कोई विशेष पैदा नहीं होता बल्कि लोग अपने कर्माें से विशेष बनते हैं। जब हम अपने हृदय में अपनापन लेकर कहीं जाते हैं तो वहां सब अपना लगने लगता है। साध्वी जी ने कहा कि कोई देश ऊॅंचे महलों, भाषण, नारों ने महान नहीं होता बल्कि वहां के ऊॅंचे विचार-आचार उस देश को महान बनाता है। हमारा देश बुद्धि, ज्ञान और काबिलियत के बल पर ही विश्व गुरू का स्थान रखता है। साध्वी ने मातृ शक्ति छात्राओं से कहा कि उन्हें बात-बात पर रोने और अपने को कोसने से बचना चाहिए। साध्वी जी ने कहा कि ज्ञान अर्जन छोटा कार्य नहीं है। इसके लिए सबसे पहले हमें ईमानदार होना चाहिए। हम सभी को खुद के अलावा देश और सनातन को कामयाब बनाने का प्रयास करना चाहिए।कार्यक्रम का संचालन और आभार व्यक्त करते हुए कुलसचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने कहा कि साध्वी जी के उद्बोधन से हम सबने न केवल धर्म के मर्म को जाना बल्कि अर्थ से अनर्थ होने की गलती से बचने का मार्गदर्शन भी पाया। इस अवसर पर विवि के कुलपति डॉ. एसके सिंह सहित विश्वविद्यालयीन स्टॉफ और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

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