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23 साल बाद अक्षय तृतीया पर नहीं है विवाह का मुहूर्त, नहीं बजेगी शहनाई

रायपुर । बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। लगभग 23 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले शुक्र और गुरु तारा अस्त होने से इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं है। हालांकि अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे। खास बात यह है कि हर साल गर्मी के दिनों में मई और जून महीने में सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त होते हैं लेकिन इस साल मई.जून में विवाह मुहूर्त नहीं है। पंडित भोजेश दुबे के अनुसार अक्षय तृतीया पर गुरु तारा अस्त रहेगा। इससे पहले सन 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था। इस साल संवत 2081 में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक गुरु तारा अस्त रहेगा। अंग्रेजी वर्ष के अनुसार गुरु तारा सात मई से 31 मई तक अस्त रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान, गुण दोष मिलान किया जाता है। इसके अलावा गुरु और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। यदि आकाश मंडल में गुरु और शुक्र ग्रह उदितमान हो तो ही विवाह के शुभ मुहूर्त होते हैं। यदि ये ग्रह अस्त हो तो विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होता। दोनों ग्रह के अस्त होने से मई.जून में विवाह के फेरे नहीं लिए जा सकेंगे।
वैशाख कृष्ण चतुर्थी 28 अप्रैल से आषाढ़ कृष्ण अमावस्या पांच जुलाई तक शुक्र तारा अस्त रहेगा। इसी बीच वैशाख कृष्ण चतुर्दशी सात मई से ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी 31 मई तक गुरु तारा अस्त रहेगा। गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे। हालांकि वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को महामुहूर्त कहा गया है जो 10 मई को है। इस दिन गुरु.शुक्र तारा अस्त होने से मुहूर्त नहीं है लेकिन अबूझ मुहूर्त माने जाने से विवाह किया जा सकता है। अक्षय तृतीया जो छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा चन्द्रमा उच्च के होते हैं। सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं। इसीलिए अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। अक्षय तिथि अर्थात जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता।

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