क्या आप जानते हैं विश्व एनेस्थीसिया दिवस क्यों मनाया जाता है?
नई दिल्ली। हर साल, विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाकर हम उन डॉक्टरों को धन्यवाद देते हैं जो ऑपरेशन के दौरान मरीजों को दर्द नहीं होने देते। ये डॉक्टर एनेस्थीसिया देते हैं, जिससे मरीजों को सर्जरी के दौरान कोई तकलीफ नहीं होती। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एनेस्थीसिया कितना जरूरी है और इन डॉक्टरों ने स्वास्थ्य सेवा में कितना बड़ा योगदान दिया है। 16 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व एनेस्थीसिया दिवस, एनेस्थीसिया के महत्व को उजागर करता है और लोगों को इसके फायदों के बारे में जागरूक करता है। आइए इस खास मौके पर आपको बताते हैं इससे जुड़ी हर जरूरी जानकारी के बारे में।
सर्जरी के क्षेत्र में क्रांति बना एनेस्थीसिया
16 अक्टूबर, 1846 को इथर के सफल प्रयोग ने सर्जरी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। इसी दिन, एनेस्थीसिया का पहला सफल प्रदर्शन हुआ था। इस ऐतिहासिक घटना को याद करने के लिए विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन एनेस्थीसियोलॉजिस्टों के योगदान को सलाम करता है और बिना दर्द के सर्जरी के महत्व को बताता है।
साल 1846 में, मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के एक ऑपरेटिंग थिएटर में, डॉक्टरों ने एक अद्भुत प्रयोग किया। उन्होंने एक रोगी पर इथर का इस्तेमाल किया और सर्जरी के दौरान उसे बेहोश कर दिया। यह पहली बार था जब किसी सर्जरी के दौरान रोगी को दर्द महसूस नहीं हुआ। इस सफल प्रयोग ने सर्जरी के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी। इसलिए, कई देशों में इस दिन को ‘इथर डे’ के नाम से भी जाना जाता है। इस ऐतिहासिक घटना को याद करने के लिए, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (डब्ल्यूएफएसए) ने विश्व एनेस्थीसिया दिवस की स्थापना की। साल 1903 से, हर साल इस दिन को विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है।
कैसे काम करता है एनेस्थीसिया?
सर्जरी भले ही कितनी ही छोटी हो, लेकिन इस दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए डॉक्टर एक विशेष दवा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे एनेस्थीसिया कहते हैं। यह दवा मरीज के शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचती है और मस्तिष्क तक जाने वाले दर्द के संकेतों को रोक देती है। इसके कारण, मरीज को सर्जरी के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता और वह बेहोश या आंशिक रूप से बेहोश रहता है। जब एनेस्थीसिया की दवा मरीज के शरीर में दी जाती है, तो यह ब्लड के द्वारा दिमाग तक पहुंचती है। इसके बाद यह दवा उन तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है जो दर्द के संकेतों देती हैं। इससे मस्तिष्क को दर्द के संकेत नहीं मिल पाते और कोई दर्द भी महसूस नहीं होता।
पहले कैसे होती थी सर्जरी?
पहले के समय में सर्जरी बेहद दर्दनाक होती थी। ज्यादातर मामलों में सर्जरी को टालने की कोशिश की जाती थी, क्योंकि मरीज को इस दौरान असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता था। दर्द को कम करने के लिए विभिन्न तरीकों का प्रयोग किया जाता था, जिनमें से कुछ बेहद अजीब और बेअसर थे।
ओपियम और मैन्ड्रेक: शुरुआत में, ओपियम और मैन्ड्रेक जैसे पौधों से निकाले गए रस को मरीजों को दिया जाता था। ये पदार्थ दर्द को थोड़ा कम करने में तो मदद करते थे, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं कर पाते थे।
डवेल: एक अन्य पदार्थ, डवेल, का भी उपयोग किया जाता था। इसे पीने से मरीज सो जाता था, जिसके बाद सर्जरी की जाती थी।
ओपियम और एल्कोहल का मिश्रण: 1600 के आसपास, ओपियम और एल्कोहल को मिलाकर एक तरल बनाया जाने लगा, जिससे दर्द से राहत मिलती थी। हालांकि, इसका असर बहुत कम समय के लिए होता था, जिसके कारण डॉक्टरों को बहुत जल्दी सर्जरी खत्म करनी पड़ती थी।
एनेस्थीसिया के प्रकार
लोकल एनेस्थीसिया
क्या होता है: इस प्रकार के एनेस्थीसिया में शरीर के केवल एक छोटे से हिस्से को सुन्न किया जाता है।
कब इस्तेमाल होता है: छोटी सर्जरी जैसे कि दांत निकालना, टांके लगाना आदि के लिए।
कैसे काम करता है: दवा को त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे उस क्षेत्र की तंत्रिकाएं अस्थायी रूप से सुन्न हो जाती हैं।
रीजनल एनेस्थीसिया
क्या होता है: इस प्रकार के एनेस्थीसिया में शरीर के एक बड़े हिस्से को सुन्न किया जाता है।
कब इस्तेमाल होता है: बड़ी सर्जरी जैसे कि पैर या हाथ की सर्जरी, सी-सेक्शन आदि के लिए।
कैसे काम करता है: दवा को रीढ़ की हड्डी के आसपास या बड़े नसों के पास इंजेक्ट किया जाता है।
जनरल एनेस्थीसिया
क्या होता है: इस प्रकार के एनेस्थीसिया में मरीज को पूरी तरह से बेहोश कर दिया जाता है।
कब इस्तेमाल होता है: बड़ी और जटिल सर्जरी जैसे कि हृदय की सर्जरी, मस्तिष्क की सर्जरी आदि के लिए।
कैसे काम करता है: दवा को श्वास के माध्यम से या नस में इंजेक्ट करके दी जाती है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है।