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छत्तीसगढ़

Special Reports : प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर पर कांग्रेस की चुनौती

क्या विस चुनाव में वंचित उम्मीदवारों को लोस में मिलेगा मौका

रायपुर। देश में होने वाले आम चुनाव 2024 को लेकर सभी राज्यों में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय राजनीतिक दल उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं, वहीं चुनाव दिलचस्प नजर आ रहा है।विधानसभा चुनाव 2023 संपन्न हो चुके हैं। काफी रोमांचक स्थिति में कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ है, इससे केंद्र की भाजपा शासित सरकार काफी आसान्वित है, जबकि जिन राज्यों में कांग्रेस को हार मिली है वहां पर कांग्रेस की वापसी नहीं हो पाई है। विपक्ष में कांग्रेस मजबूत होने का दावा कर रही है, लेकिन पार्टी के अंदर की अंदरूनी लड़ाई और समन्वय की कमी दिख रही है। हालांकि कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, लेकिन ऐसा माना जा रहा है 5 मार्च तक कांग्रेस की सूची सामने आ जाएगी । छत्तीसगढ़ की दृष्टि से 11 लोकसभा सीट है, इसमें पांच लोकसभा सीट काफी प्रतिष्ठा पूर्ण है और इन सीटों में कांग्रेस के लिए चुनौती भी है। रायपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान विधायक दक्षिण विधानसभा क्षेत्र बृजमोहन अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है। अब मंत्री अग्रवाल को चुनौती देने के लिए कांग्रेस के पास मजबूत प्रतिनिधित्व होना चाहिए। चर्चा में जो नाम सामने आ रहे हैं उसमें संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, निगम सभापति प्रमोद दुबे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा का भी नाम चर्चाओं में है, इसमें सत्यनारायण शर्मा और प्रमोद दुबे को उम्मीदवारी दिए जाने से भाजपा के लिए चुनौती उपस्थित हो सकती है। यह दोनों नेता काफी अनुभव भी हैं और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की प्रकृति को समझते हैं । चुनाव लडऩे का काफी अनुभव है, लेकिन इनकी तुलना में बृजमोहन अग्रवाल एक कद्दावर नेता है और रायपुर शहर ग्रामीण दोनों में मजबूत पकड़ मानी जाती है, ऐसे में यह चुनौती कांग्रेस के लिए काफी प्रमुख होगी। वहीं राजनांदगांव में भारतीय जनता पार्टी ने संतोष पांडे को उम्मीदवारी दी है, इस सीट में बदलाव नहीं किया है। कांग्रेस के लिए यह सीट चुनौती पूर्ण है। इस लिहाज से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा सूत्रों से मिल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री उम्मीदवारी तय करते हैं तो राजनांदगांव लोकसभा सीट चुनौती पूर्ण हो जाएगी और भाजपा को एक कांटे की टक्कर मिलेगी। हालांकि संतोष पांडे की छवि राजनांदगांव के अंदर अच्छी है, लेकिन यह पूरा चुनाव मोदी बनाम कांग्रेस है। ऐसे में कांग्रेस को मोदी से लडऩे की जरूरत है। वर्तमान और स्थानीय उम्मीदवार से नहीं। इसी क्रम में दुर्ग से भाजपा उम्मीदवार विजय बघेल को उम्मीदवारी दे दी गई है, जबकि यहां पर कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को उम्मीदवार बनाने का फैसला पैनल की ओर से भेजा गया है, संभवत सोमवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में फैसला हो जाएगा। लेकिन उससे पहले दुर्गा के अंदर भाजपा के विजय बघेल की चुनौती ताम्रध्वज साहू किस तरह स्वीकार कर पाएंगे यह प्रमुख होगा, क्योंकि हाल ही में पाटन विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री को विजय बघेल ने विधानसभा चुनाव में काफी मजबूत टक्कर दी है और दुर्ग सांसद क्षेत्र से एक मजबूत नेता माने जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी में स्वच्छ छवि भी है। कांकेर लोकसभा सीट में कांग्रेस की ओर से वीरेश ठाकुर और पूर्व मंत्री अनिला भेडिय़ा को उम्मीदवारी मिलने की उम्मीद की जा रही है। जबकि यहां से भारतीय जनता पार्टी ने मोहन मांडवी को हटाकर उनके स्थान पर भोजराज नाग को उम्मीदवारी दी है। ऐसे में यह सीट भी काफी प्रतिष्ठापूर्ण है और मिशन 11 के लिए जीत सुनिश्चित करनी होगी। कोरबा में भारतीय जनता पार्टी ने सुश्री सरोज पांडे को उम्मीदवार बनाया है, उनके मुकाबले में कांग्रेस की ओर से ज्योत्सना महंत को कांग्रेस अवश्य उम्मीदवार बनाएगी क्योंकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरण दास महंत की धर्मपत्नी है इसलिए और छवि भी सुंदर और निश्चल है। ऐसे में भाजपा के लिए भी यह चुनौती बहुत मजबूत होगी। बस्तर में कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के मुकाबले के लिए भारतीय जनता पार्टी ने महेश कश्यप को उम्मीदवारी बनाया है। इतिहास देखें तो दीपक बैज एक मजबूत उम्मीदवार हैं, इसलिए भाजपा को यहां जीत पाने के लिए हर संभव कोशिश करना होगा। फिलहाल अब तक के चुनावी सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ के अंदर जो स्थितियां दिख रही हैं उसमें भाजपा सात सीटों पर विजय प्राप्त कर पाएगी, जबकि कांग्रेस को चार सीटों पर जीत मिलेगी। इस तरह से कांग्रेस को पिछले चुनाव के मुकाबले दो सीटों का फायदा होगा। वहीं भाजपा को दो सीटों को नुकसान हो सकता है। हालांकि इस बार मिशन 400 के पार का आंकड़ा छूने के लिए 11 सीट जितना आवश्यक है, मुद्दे अलग है, चुनाव कांग्रेस वर्सेस मोदी होकर रह गया है।

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