Join us?

छत्तीसगढ़

स्कूली बच्चों में सहनशीलता व धर्य की कमी चिंताजनक – विजय चोपड़ा

दूर करने टीचर्स की कार्यशाला में बताये 6 सूत्रीय उपाय

छुट्टियों में बच्चे समय का सदुपयोग करें व विरासत के संस्कारों को सहेजें – प्रोजेक्ट देने हुई कार्यशाला
रायपुर। स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां आरम्भ हो गई है । 45 दिनों के लम्बे अवकाश में बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में समय व्यतीत करते हैं । छुट्टियों में बच्चे समय का सदुपयोग करें व विरासत के संस्कारों को सहेजें ताकि बच्चों में सहनशीलता , धैर्य , अनुशासन ,संस्कार व करुणा जैसे गुणों का विकास हो सके ।

ये खबर भी पढ़ें : Ghee Benefits on Empty Stomach: रोज सुबह खाली पेट घी खाने के हैं कमाल के फायदे

स्कूलों से बच्चों को 45 दिनों के लिए होमवर्क दिया जाता हैं । होमवर्क में नवीनता लाने के लिए सहेजें अपने विरासत के संस्कारों को विषय पर स्कूली टीचर्स के लिए कार्यशाला का आयोजन किया है ।वर्तमान परिवेश में अनुभव किया जा रहा है कि बच्चों में सहनशीलता , धैर्य की कमी देखी गई है । बच्चे सत्य से दूर भाग रहे हैं , वे अपना अधिकतम समय टी वी , मोबाईल , कम्प्यूटर में व्यतीत कर रहे हैं । एकाकी जीवन के कारण डिप्रेशन की स्थिति निर्मित हो रही है ।

ये खबर भी पढ़ें : International News: कोरोना का पहला सिक्वेंस डिकोड करने वाले चीनी विज्ञानी को लैब से निकाला

बच्चों को इन विपरीत परिस्थितियों से उभारने शिक्षाविद विजय चोपड़ा ने अनूठा प्रोजेक्ट तैयार किया है व स्कूलों के माध्यम से कार्यशाला आयोजित कर टीचर्स को ट्रेनिंग दे रहे है । प्रसिद्ध शिक्षाविद व मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने वर्धमान इंग्लिश मीडियम हायर सेकेंडरी स्कूल , सदर बाजार में आयोजित कार्यशाला में टीचर्स को 6 बिंदुओं का मंत्र दिया । जिसके आधार पर बच्चों को 45 दिनों के वेकेशन में प्रेक्टिकल कर प्रोजेक्ट लिखकर तैयार करना है ।

ये खबर भी पढ़ें : मुख्यमंत्री ने मजदूरों के साथ खाया बोरे बासी

सर्वप्रथम दादा – दादी , नाना – नानी अथवा ऐसे वरिष्ठ परिजनों के साथ समय व्यतीत करना उनके अनुभव व संस्कारों को समझना उसके अनुसार प्रोजेक्ट बनाना है , इस संबंध में टीचर्स को जानकारी दी गई । प्रत्येक बच्चे को अपने माता पिता , बड़े भाई बहन व परिजनों के साथ अपने धार्मिक स्थल जाना , वहाँ के आत्मिक अनुभव को साझा करना है । मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने कार्यशाला में आगे बताया कि बच्चों को मोहल्ले के वरिष्ठजनों से परिचय बढ़ाना है , उनके अनुभव व्यवहार से सीखना है और अपना प्रोजेक्ट तैयार करना है ।

ये खबर भी पढ़ें : स्कूली बच्चों में सहनशीलता व धर्य की कमी चिंताजनक – विजय चोपड़ा

चोपड़ा ने आगे कहा कि बच्चों को पर्यावरण से जुड़कर जीवन जीना सीखना है , और अपने अनुभवों को प्रोजेक्ट के माध्यम से साझा करना है । बच्चों को अपने व्यवहार में दया , करुणा के गुणों का विकास कैसे हो इस दिशा में दैनिक जीवन में आचरण करना है , प्राणिमात्र के प्रति छोटी छोटी सहयोग की भावना रखते हुए कार्य करना और उन्हें प्रोजेक्ट के माध्यम से दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना है ।

ये खबर भी पढ़ें : Governor Ramesh Bais unfurls National Tricolour on 65th Maharashtra Day

अपने परिजनों के साथ प्रेमभाव बना रहे व बढ़े इस हेतु दिन में एक समय का भोजन सभी साथ बैठकर करें , व आपस में सार्थक चर्चा करते रहें । कार्यशाला के माध्यम से टीचर्स को उपरोक्त प्रोजेक्ट के विषय में मोटिवेशनल स्पीकर ने विस्तार से समझाया जिससे टीचर्स आगामी 45 दिनों के लिये बच्चों को होमवर्क में उपरोक्त विषयों का समावेश कर सके ।

ये खबर भी पढ़ें : Have you forgotten your Apple ID and password? So you can reset it like this

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करना है । जीवन में संस्कारों के महत्व को समझना व समझाना जरूरी है । शिक्षाविद व मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने कहा कि संस्कार विरासत में मिलते हैं , बाज़ार से खरीदे नही जा सकते । इसी मूल वाक्य को कार्यशाला प्रोजेक्ट में समाहित किया गया है । छुट्टियों के पश्चात पहली से बारहवीं तक की कक्षाओं में प्रथम द्वितीय व तृतीय प्रोजेक्ट्स को पुरस्कृत किया जावेगा ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button