अब ‘तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी’ के नाम से जानी जाएगी भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज, जेम्स एंडरसन ने कहा- “ये मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है”

भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली टेस्ट सीरीज को अब एक नया नाम मिलने जा रहा है, और वो नाम क्रिकेट के दो सबसे बड़े दिग्गजों — सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन — के नाम पर रखा गया है। अब जब भी भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैचों की सीरीज होगी, तो वो ‘तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी’ के नाम से जानी जाएगी।अभी तक इस सीरीज को ‘पटौदी ट्रॉफी’ के नाम से जाना जाता था, जो भारतीय क्रिकेट इतिहास के अहम किरदार नवाब पटौदी से जुड़ा हुआ था। हालांकि कुछ समय पहले इसे ‘एंथनी डी मेलो ट्रॉफी’ नाम से भी खेला गया था, जो बीसीसीआई के पहले सचिव और चेयरमैन थे। लेकिन अब बीसीसीआई और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने मिलकर इसे एक नया ऐतिहासिक नाम देने का फैसला किया है।इस फैसले से क्रिकेट प्रेमियों को न सिर्फ दो महान खिलाड़ियों को सम्मान देने का मौका मिलेगा, बल्कि हर सीरीज में इन दोनों की याद ताजा होगी। ये फैसला वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के नए चक्र की शुरुआत से पहले लिया गया है। और सबसे खास बात — इस नई ट्रॉफी का आधिकारिक अनावरण खुद सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन द्वारा 11 जून को लॉर्ड्स में किया जाएगा, जब वहां वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाएगा।
एंडरसन की भावनाएं: “बचपन से जिनको देखा, आज उनके साथ ट्रॉफी में मेरा नाम!” – इंग्लैंड के सबसे सफल तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन, जो हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हुए हैं, इस सम्मान से बहुत भावुक हो गए हैं। लॉर्ड्स में ईएसपीएनक्रिकइंफो से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे लिए ये विश्वास करना भी मुश्किल हो रहा है कि सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी के साथ मेरे नाम की ट्रॉफी बनाई जा रही है। बचपन से मैं उन्हें खेलते देखता आया हूं और उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरणा दी है।”एंडरसन ने ये भी कहा कि भले ही दोनों की उम्र में थोड़ा अंतर रहा हो, लेकिन मैदान पर दोनों कई बार आमने-सामने आए हैं। “मैंने सचिन के खिलाफ कई मैच खेले हैं और उनसे बहुत कुछ सीखा है। उनके खिलाफ गेंदबाजी करना किसी भी गेंदबाज के लिए चुनौती से कम नहीं होता। वो जिस लेवल पर थे, वहां तक पहुंचना हर क्रिकेटर का सपना होता है।”इस ट्रॉफी का हिस्सा बनने से एंडरसन को बेहद गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि हर उस खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है जो क्रिकेट को दिल से खेलता है।nसचिन तेंदुलकर की तरफ से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जिस तरह से एंडरसन भावुक होकर अपनी बात रख रहे हैं, उससे साफ है कि यह ट्रॉफी क्रिकेट के इतिहास में एक भावनात्मक और गर्व भरा अध्याय जोड़ने जा रही है।
भारत-इंग्लैंड की राइवलरी को मिलेगा नया आयाम, ट्रॉफी अब सिर्फ जीत की नहीं, इतिहास की पहचान होगी – भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट की राइवलरी हमेशा खास रही है। दोनों टीमों के बीच ऐसे कई मुकाबले हुए हैं, जिन्होंने क्रिकेट के फैंस के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। अब जब इस सीरीज को ‘तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी’ के नाम से जाना जाएगा, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाएगा।यह सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि दो अलग-अलग युगों के दो ऐसे दिग्गजों को सम्मान देने का तरीका है, जिन्होंने अपने-अपने करियर में क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है, वहीं एंडरसन को टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के सबसे खतरनाक तेज गेंदबाजों में गिना जाता है। अब हर बार जब भारत और इंग्लैंड आमने-सामने होंगे, तो सिर्फ एक सीरीज की ट्रॉफी के लिए नहीं, बल्कि दो महान खिलाड़ियों की विरासत के सम्मान के लिए भी खेला जाएगा। इससे खिलाड़ियों के साथ-साथ दर्शकों के बीच भी इस सीरीज की अहमियत और गहराई बढ़ेगी।युवा खिलाड़ियों के लिए भी यह ट्रॉफी एक तरह की प्रेरणा होगी कि अगर मेहनत और जुनून हो, तो इतिहास में नाम दर्ज करवाना नामुमकिन नहीं है। सचिन और एंडरसन ने न सिर्फ आंकड़ों के जरिए, बल्कि अपने खेल और व्यवहार से लोगों का दिल जीता है।