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दिल्ली चुनाव 2025: AAP को क्या पड़ा भारी? हार की बड़ी वजहों पर नजर
दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना जारी है और आम आदमी पार्टी (AAP) पीछे चल रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार बढ़त बनाए हुए है। अगर AAP यह चुनाव हारती है, तो लगातार चौथी बार सरकार बनाने का उसका सपना टूट जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर AAP के प्रदर्शन में गिरावट क्यों आई? अगर बीजेपी इन रुझानों को नतीजों में बदलने में सफल रही, तो 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में उसकी वापसी होगी। 1998 से अब तक हुए छह विधानसभा चुनावों में बीजेपी को लगातार हार मिली थी। आइए समझते हैं कि अगर AAP को हार का सामना करना पड़ता है, तो इसके पीछे की तीन मुख्य वजहें क्या हो सकती हैं।
1. सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) का असर
AAP के लिए सबसे बड़ी चुनौती 12 साल की सत्ता विरोधी लहर रही। 2013 में कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के बाद 2015 और 2020 में AAP ने बड़ी जीत दर्ज की थी। 2022 में MCD पर भी उसका कब्जा हो गया, लेकिन समय के साथ जनता की नाराजगी बढ़ती चली गई।
दिल्ली के लोग AAP सरकार से कुछ खास वजहों से नाराज नजर आए, जैसे –
✅ गंदे सीवर और जलभराव की समस्या
✅ टूटी-फूटी सड़कें और बढ़ता प्रदूषण
✅ यमुना सफाई पर बड़े-बड़े दावे, लेकिन कोई ठोस बदलाव नहीं
✅ कई इलाकों में गंदे पानी की सप्लाई
✅ फ्री बिजली के दावों के बावजूद भारी-भरकम बिल
2. ‘शीशमहल’ विवाद ने बिगाड़ी छवि
अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले पर हुए भारी खर्च ने AAP की आम आदमी वाली छवि को तगड़ा झटका दिया।
जब कोरोना के दौरान दिल्ली के लोग मुश्किलों से जूझ रहे थे, तब मुख्यमंत्री आवास पर करोड़ों रुपए खर्च होने की खबर आई। इससे AAP के जनता से जुड़े होने के दावे कमजोर पड़ गए। विपक्ष ने इसे ‘शीशमहल विवाद’ का नाम दिया और लोगों को यह समझाने में सफल रहा कि केजरीवाल और उनके मंत्री जनता से दूर होते जा रहे हैं।
इस दौरान केजरीवाल के आलीशान डाइनिंग टेबल पर डिनर का वीडियो वायरल हुआ, जिससे AAP को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने इस मुद्दे को भुनाया और जनता के बीच AAP के खिलाफ माहौल बन गया।
3. शराब घोटाला और भ्रष्टाचार के आरोप
केजरीवाल सरकार को सबसे बड़ा झटका शराब नीति घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोपों से लगा। केजरीवाल को मुख्यमंत्री रहते तिहाड़ जेल जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। जब सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, तो इतनी सख्त शर्तें लगीं कि सीएम के तौर पर काम करना मुश्किल हो गया, जिसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा। मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह जैसे कई बड़े नेता भी जेल गए। AAP लगातार कहती रही कि बीजेपी उन्हें फंसा रही है, लेकिन जनता को यह समझाने में नाकाम रही कि अगर आरोप झूठे थे, तो कोर्ट से राहत मिलने में इतनी देर क्यों लगी? इसके अलावा, सरकारी दफ्तरों में काम करवाने में लोगों को हो रही परेशानियां और केजरीवाल के पुराने समर्थकों, खासकर ऑटो-टैक्सी वालों की नाराजगी ने भी AAP की मुश्किलें बढ़ा दीं। क्या दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनेगी? अगर ये रुझान नतीजों में बदलते हैं, तो बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर सकती है। अब देखना यह होगा कि अंतिम नतीजे किसके पक्ष में जाते हैं।
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