ITBP में बड़े घोटाले का खुलासा, सीबीआई ने कमांडेंट सहित छह आरोपियों पर किया केस दर्ज
ITBP घोटाला: आईटीबीपी अधिकारियों पर करोड़ों का घपला, सीबीआई जांच जारी आईटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police) में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। यह घोटाला अलग-अलग अधिकारियों के कार्यकाल में हुआ है, और इस वजह से दो अलग-अलग केस दर्ज किए गए हैं। सीबीआई इन मामलों की जांच कर रही है। उत्तराखंड में आईटीबीपी की सातवीं बटालियन मिर्थी और पिथौरागढ़ में करीब 1.75 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। आरोप है कि अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर राशन, केरोसिन और अन्य सामग्रियों के मालभाड़े में गड़बड़ी की। पहला घोटाला 2017 से 2019 के बीच हुआ, जिसमें 22 लाख रुपये से ज्यादा का गबन किया गया। वहीं, दूसरा घोटाला 2020 से 2021 के बीच हुआ, जिसमें 1.30 करोड़ रुपये से ज्यादा का घपला किया गया।
पहले मामले में मिर्थी में तैनात कमांडेंट महेंद्र प्रताप, डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई, डिप्टी कमांडेंट मुकेश चंद मीना, ठेकेदार मदन सिंह राणा, पूरन सिंह और कुंदन सिंह भंडारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इस मामले में कुल 22.07 लाख रुपये का घोटाला हुआ, जिसमें ठेकेदार मदन सिंह राणा पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के तांकुल गांव के रहने वाले हैं। वहीं, पूरन सिंह और कुंदन सिंह भंडारी बंगबंग गांव के निवासी हैं। तत्कालीन कमांडेंट महेंद्र प्रताप अब आईटीबीपी की 29वीं बटालियन जबलपुर में तैनात हैं, जबकि डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई हरियाणा के पंचकूला में हैं। मुकेश चंद्र मीना अभी गुवाहाटी में तैनात हैं। दूसरे घोटाले में 2020 से 2021 के बीच मिर्थी में कमांडेंट रही अनुप्रीत टी बोरकर, डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई, डिप्टी कमांडेंट पूरन राम, डिप्टी कमांडेंट मुकेश चंद मीना और इंस्पेक्टर अनिल कुमार पांडे के खिलाफ केस दर्ज किया गया। आरोप है कि इन लोगों ने ठेकेदार मदन सिंह के साथ मिलकर सामग्रियों के परिवहन में धोखाधड़ी की और 1.54 करोड़ रुपये का गबन किया। इसमें सीमा चौकी पर निर्माण कार्य, जनरेटर सेटों का परिवहन और अन्य सामानों का गलत तरीके से ट्रांसपोर्टेशन शामिल था। यह दोनों मामले मिर्थी बटालियन के वर्तमान कमांडेंट परमेंद्र सिंह की शिकायत पर दर्ज किए गए हैं। जांच अभी भी चल रही है।