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वर्क कल्चर और कम सैलरी हाइक को लेकर Infosys के CEO सलिल पारेख ने क्या कहा?

इंफोसिस, जो भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक है, इन दिनों टॉक्सिक वर्क कल्चर और कम सैलरी हाइक को लेकर विवादों में घिरी हुई है। इस वजह से कंपनी की छवि पर भी असर पड़ा है। हाल ही में तीसरी तिमाही (Q3) के नतीजे पेश करते हुए कंपनी के सीईओ सलिल पारेख को इन गंभीर आरोपों पर जवाब देना पड़ा।

क्या है पूरा मामला? – Q3 अर्निंग कॉल के दौरान सलिल पारेख से पूछा गया कि क्यों कंपनी की साख गिर रही है, क्यों लंबे समय से कर्मचारियों की सैलरी नहीं बढ़ाई गई, और क्यों टॉक्सिक वर्क कल्चर की बातें सामने आ रही हैं। यह मामला तब और तूल पकड़ गया, जब 2023 में इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी।

नारायण मूर्ति के बयान पर बवाल – नारायण मूर्ति के इस बयान पर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई। इसके तुरंत बाद इंफोसिस पर कम वेतन देने और कर्मचारियों के साथ सही व्यवहार न करने के आरोप लगने लगे। दावा किया गया कि नए कर्मचारियों की सैलरी पिछले 10 साल से नहीं बढ़ी है। इसके साथ ही, कई कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर कंपनी के दूसरे अंदरूनी मुद्दे भी उजागर किए। इनमें करियर ग्रोथ का न होना, काम का ज्यादा दबाव और टॉक्सिक वर्क एनवायरनमेंट शामिल थे। एक पूर्व कर्मचारी भूपेंद्र विश्वकर्मा ने कहा, “मैंने इंफोसिस छोड़ने का फैसला तब लिया, जब मुझे दूसरी नौकरी भी नहीं मिली थी। यहां करियर ग्रोथ के मौके नहीं थे, काम का लोड बहुत ज्यादा था और माहौल भी काफी खराब था।”

सलिल पारेख का जवाब – इन आरोपों पर सीईओ सलिल पारेख ने कहा, “हम इंफोसिस के हर कर्मचारी के साथ निष्पक्ष और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कंपनी में प्रदर्शन को मापने और बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कंपनी लगातार कोशिश कर रही है कि कर्मचारियों की चिंताओं को सही तरीके से समझा जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। हालांकि, इन बयानों के बावजूद सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और इंफोसिस से ज्यादा पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।

क्या इंफोसिस अपनी छवि सुधार पाएगी? – इंफोसिस जैसी दिग्गज कंपनी के लिए इन मुद्दों का हल निकालना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे न सिर्फ कर्मचारियों का भरोसा कमजोर होता है, बल्कि इसका सीधा असर कंपनी के प्रदर्शन और प्रतिष्ठा पर पड़ता है। अब देखना होगा कि इंफोसिस इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और अपनी छवि सुधारने में कितनी कामयाब होती है।

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