
जामिया नगर में अवैध निर्माणों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जुलाई में-यह मामला दिल्ली के ओखला स्थित जामिया नगर में अवैध निर्माणों को लेकर है, जहाँ DDA ने कई नोटिस जारी किये थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जुलाई में करने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और DDA की भूमिका-7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने DDA को ओखला गांव में अवैध निर्माणों को हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा कि किसी भी निर्माण को गिराने से पहले प्रभावित लोगों को कम से कम 15 दिन का नोटिस देना ज़रूरी है। यह आदेश दिल्ली में बढ़ते अतिक्रमण पर रोक लगाने के मकसद से दिया गया था। DDA को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में देनी होगी।
सुनवाई में देरी और कोर्ट का स्थगन-याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध पर कोर्ट ने सुनवाई जुलाई तक के लिए टाल दी। वकील ने कहा कि यही इस समस्या की जड़ है। कोर्ट ने इस मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए सुनवाई टाल दी और DDA को निर्देश दिया कि वो उचित कदम उठाएँ, लेकिन किसी भी तरह की जल्दबाजी में ध्वस्तीकरण न करें।
ओखला में ध्वस्तीकरण नोटिस का कारण-जामिया नगर में सिंचाई विभाग की जमीन पर कई मकान और दुकानें अवैध रूप से बनाई गई थीं। इस अतिक्रमण के चलते DDA ने 22 मई को इन अवैध निर्माणों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। नोटिस में 15 दिनों के अंदर इमारतें हटाने का आदेश दिया गया था, और यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के अनुसार की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और आगे की कार्रवाई-सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कड़ी नज़र रखे हुए है। DDA को तीन महीने के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी। कोर्ट यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी नोटिस कानूनी प्रक्रिया के तहत जारी किए जाएँ ताकि किसी के अधिकारों का उल्लंघन न हो। जुलाई में अगली सुनवाई में इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएँगे।