भोपाल: मध्य प्रदेश में नौ साल से रुकी पदोन्नतियों के लिए सरकार नए विकल्प पर विचार कर रही है मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट के आदेश के बाद पदोन्नति में आरक्षण नियम को खत्म कर दिया गया, जिसके बाद से राज्य के कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी हुई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया, फिर भी कर्मचारियों में नाराजगी लगातार बढ़ रही है। सरकार ने इस समस्या का हल ढूंढने के लिए नए नियम बनाने की कोशिश की और मंत्री समूह का भी गठन किया, लेकिन अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है। अब सरकार इस मुद्दे पर नया रास्ता तलाशने के लिए समयमान वेतनमान को पदोन्नति के विकल्प के तौर पर लागू करने पर विचार कर रही है। समयमान वेतनमान योजना का प्रस्ताव समयमान वेतनमान योजना 2008 में शुरू की गई थी ताकि जो अधिकारी पदोन्नति पाने के योग्य होते हुए भी नहीं पा रहे, उन्हें कम से कम उच्च पद का वेतनमान मिल सके। इस योजना में आरक्षण का प्रावधान नहीं होता, जिससे इसे पदोन्नति के लिए भी अपनाया जा सकता है। इससे किसी को भी कोई नुकसान नहीं होगा, और इसे पदोन्नति का वैकल्पिक तरीका माना जा सकता है। 60 हजार से अधिक कर्मचारी बिना पदोन्नति के रिटायर हो गए पदोन्नति के नियम न होने के कारण पिछले आठ वर्षों में 60 हजार से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी बिना पदोन्नति के रिटायर हो चुके हैं। यह मुद्दा तब और बढ़ा जब निर्माण विभागों के सामान्य श्रेणी के इंजीनियरों ने मध्य प्रदेश लोकसेवा पदोन्नति नियम 2002 को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस पर 2016 में हाई कोर्ट ने इन नियमों को खत्म कर दिया, और पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, और याचिका अभी भी विचाराधीन है। इस बीच, जब कर्मचारियों ने आंदोलन किया, तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेला को नए नियम का प्रारूप तैयार करने का जिम्मा सौंपा। गोरकेला ने सभी पहलुओं पर विचार करके प्रारूप तैयार किया, लेकिन सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया। नए विकल्प पर काम शुरू अब सरकार ने इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के लिए नए विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, समयमान वेतनमान योजना को पदोन्नति के विकल्प के रूप में लागू किया जा सकता है। यह योजना कर्मचारियों द्वारा सेवा की एक निश्चित अवधि पूरी करने और पदोन्नति के योग्य होने पर लागू की जाएगी। समयमान वेतनमान की प्रक्रिया
समयमान वेतनमान योजना में, अधिकारियों और कर्मचारियों को चार बार वेतनमान मिलता है: – प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों को 8, 16, 24 और 34 वर्षों की सेवा पूरी करने पर समयमान वेतनमान मिलता है।
– तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 10, 20, 30 और 35 वर्षों की सेवा पूरी होने पर यह वेतनमान मिलता है। आगे की प्रक्रिया विभागीय अधिकारियों का कहना है कि समयमान वेतनमान का लाभ सेवा में आने के समय और गोपनीय चरित्रावली के आधार पर दिया जाता है। यह व्यवस्था पदोन्नति के विकल्प के रूप में लागू की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सभी पक्षों से चर्चा की जाएगी और कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद सरकार नीतिगत निर्णय लेगी।