पंजाब

ब्रिटिश की संसद में पहली बार सिख सांसद का लगा चित्र

चंडीगढ़। यूके व यूरोप के पहले पगड़ीधारी सिख सांसद लॉर्ड इंद्रजीत सिंह का चित्र वेस्टमिंस्टर, लंदन स्थित ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के बिशप कॉरिडोर में स्थापित किया गया है। यह पहली बार है जब ब्रिटिश संसद में किसी सिख का चित्र प्रदर्शित किया गया है। यह चित्र संसद में उनकी महत्वपूर्ण सेवाओं व राष्ट्र के लिए लोक सेवा में योगदान को मान्यता देने के लिए स्थापित किया गया है। लॉर्ड इंद्रजीत सिंह के चित्र का अनावरण स्वयं लॉर्ड इंद्रजीत की उपस्थिति में हुआ।
ब्रिटेन के सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी, लॉर्ड कुलदीप सिंह सहोता, सांसद जस अथवाल, सांसद किरिथ एंटविसल, सांसद रिचर्ड बेकन, सांसद भगत सिंह शंकर व लेडी इंद्रजीत सिंह डॉ. कंवलजीत कौर ओबीई व उनके परिवार के सदस्य व मित्रगण समारोह का हिस्सा बने।
अंतरधार्मिकता की पहुंचाई समझ: स्पीकर
लॉर्ड इंद्रजीत सिंह के योगदान की सराहना करते हुए हाउस ऑफ लॉर्ड्स हेरिटेज कमेटी के चेयरमैन लॉर्ड स्पीकर फाल्कनर ने कहा कि उन्होंने यूके के नाश्ते की मेजों पर सिख धर्म व अंतरधार्मिकता की समझ पहुंचाई है। तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा कि संसद में लॉर्ड इंद्रजीत सिंह का चित्र प्रदर्शित करना एक ऐतिहासिक कदम है और यह इस प्रतिष्ठित सदन के सभी सांसदों व आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। ग्लोबल सिख काउंसिल (जीएससी) के कोषाध्यक्ष पुड्डुचेरी से हरशरण सिंह ने इस उपलब्धि को पूरी सिख कौम व पंजाबी समुदाय के लिए गर्व की बात बताया। जीएससी के डिप्टी अध्यक्ष राम सिंह, काउंसिल के डिप्टी अध्यक्ष अमेरिका से परमजीत सिंह बेदी व महासचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि यह मान्यता लॉर्ड इंद्रजीत सिंह के जीवनभर के समर्पण, ब्रिटिश समाज, सिख समुदाय व अंतरधार्मिक सद्भाव के प्रति उनके योगदान का प्रमाण है।
यूके हाउस ऑफ कॉमन्स के पहले पगड़ीधारी सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी यूके के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में नियुक्त पहले पगड़ीधारी सिख लॉर्ड इंद्रजीत सिंह से मुलाकात की। यह एक ऐतिहासिक क्षण था जब दोनों पगड़ीधारी सिख एक साथ एकत्र हुए। लेबर पार्टी के नेता 46 वर्षीय तनमनजीत सिंह ढेसी 2017 से स्लाउ निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं। वहीं, 92 वर्षीय लॉर्ड इंद्रजीत सिंह वर्ष 2011 से हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य हैं। लॉर्ड इंद्रजीत सिंह सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते आए हैं जिनमें राजकुमारों की शादियां भी शामिल हैं।

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