
वक्फ संशोधन बिल पर हंगामा, सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पास होकर अब राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा गया है। माना जा रहा है कि इसे आज ही राज्यसभा से भी हरी झंडी मिल सकती है, जिसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही नए प्रावधान लागू हो जाएंगे। इस बिल को लेकर मुस्लिम समाज में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस बिल को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि गरीब मुसलमानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी उम्मीदें हैं, इसलिए इस बिल का नाम ‘उम्मीद’ रखा गया है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को भी उम्मीद की किरण बताया और आरोप लगाया कि पिछली सरकारों और वक्फ बोर्ड के कुछ अध्यक्षों ने वक्फ संपत्तियों का जमकर दुरुपयोग किया। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं, वे असली नहीं, बल्कि राजनीतिक मुसलमान हैं, जो सिर्फ अपने निजी फायदे के लिए हंगामा खड़ा कर रहे हैं।
वहीं, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस बिल को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कभी गरीबों के लिए वक्फ संपत्तियां दान की थीं, कांग्रेस के 60 साल के शासन में उनका सही इस्तेमाल नहीं हुआ। इसका फायदा सिर्फ वक्फ बोर्डों के अध्यक्षों को हुआ, लेकिन जिन गरीबों के लिए संपत्ति दी गई थी, उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। मुफ्ती शमून कासमी ने यह भी कहा कि कुछ लोग बेवजह डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बिल से मस्जिदों और कब्रिस्तानों पर कब्जा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने हमेशा मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा और असल विकास से दूर रखा। अगर वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल होता और वहां स्कूल, यूनिवर्सिटी और अस्पताल बनाए जाते, तो मुस्लिम समाज को बहुत फायदा होता। लेकिन कुछ लोगों ने कम पढ़े-लिखे मुसलमानों को बेवजह आरएसएस और भाजपा का डर दिखाकर मुख्यधारा से दूर रखा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया गया था, तब भी इन्हीं लोगों ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताकर दुष्प्रचार किया, जबकि हकीकत कुछ और थी। अब यही लोग वक्फ संशोधन बिल को लेकर भी झूठी शंकाएं फैला रहे हैं।