एमपी में शहर से गांव तक फिर दौड़ेंगी बसें, मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा को मंजूरी

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार 20 साल बाद फिर से बस सेवा शुरू करने जा रही है। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस योजना के तहत बसें पूरे प्रदेश में, शहरों से लेकर गांवों तक चलाई जाएंगी, और इन्हें पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर संचालित किया जाएगा। सरकार खुद बसें खरीदने के बजाय निजी बस ऑपरेटरों को जोड़ेगी और उनके जरिए यह सेवा चलाई जाएगी। इसके लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी, जो बसों के संचालन और नियंत्रण का जिम्मा संभालेगी। इस कंपनी के गठन के लिए सरकार ने 101.20 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी मंजूर की है। जब यह कंपनी लाभ कमाने लगेगी, तो उसका कुछ हिस्सा राज्य सरकार को दिया जाएगा।
20 साल पहले बंद हो गई थी बस सेवा
गौरतलब है कि 2005 में भाजपा की बाबूलाल गौर सरकार ने राज्य सड़क परिवहन निगम को भारी घाटे की वजह से बंद कर दिया था। उस समय निगम को करीब 450 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। तभी से प्रदेश में सरकारी बस सेवा बंद है और केवल उन्हीं रास्तों पर निजी बसें चलाई जा रही हैं, जहां मुनाफा होता है। अब सरकार इस नई परिवहन सेवा की शुरुआत पहले आदिवासी इलाकों से करने जा रही है। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि गरीबों को सस्ती और आसान बस सेवा दी जाएगी, जिसे अब पूरा किया जा रहा है।
नए तरीके से चलेगी बस सेवा
इस बार परिवहन सेवा का तरीका पहले से अलग होगा। सरकार ने एक नई परिवहन नीति बनाई है और बसों को पीपीपी मॉडल पर चलाने का फैसला किया है। इसके लिए हर जिले में एक समिति बनाई जाएगी, जिसमें कलेक्टर मुख्य समन्वयक होंगे। इस समिति में जिले के सांसद, विधायक, महापौर, अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी शामिल होंगे। यह समिति बसों के संचालन की निगरानी करेगी और बस स्टॉप, चार्जिंग स्टेशन जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण की योजना बनाएगी। साथ ही, जिले के बस ऑपरेटरों के बीच समन्वय का काम भी करेगी। इसके अलावा, इन बसों का उपयोग कार्गो सेवा के लिए भी किया जाएगा, और इसके लिए नीति तैयार की जा रही है। राज्य परिवहन निगम की संपत्तियां इस नई कंपनी के अधीन रहेंगी।
यात्रियों के लिए मोबाइल ऐप और निगरानी डैशबोर्ड
सरकार बसों पर पूरी तरह से नियंत्रण बनाए रखेगी। यात्रियों और बस ऑपरेटरों की सुविधा के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया जाएगा, जिससे लोग ऑनलाइन टिकट बुक कर सकेंगे। साथ ही, बसों की ट्रैकिंग, सीटों की उपलब्धता और यात्रा की योजना बनाने में भी यह मदद करेगा। बस स्टैंड और बसों में रियल-टाइम पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे यात्रियों को बसों के सही समय और उनकी स्थिति की जानकारी तुरंत मिल सकेगी।
तीन स्तरों पर होगी निगरानी
यात्रियों की सुविधा और सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इस बस सेवा की त्रि-स्तरीय मॉनिटरिंग होगी। इसके तहत,
- एक राज्यस्तरीय होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी।
- प्रदेश के सात बड़े संभागों (भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और रीवा) में सहायक कंपनियां बनाई जाएंगी।
- सभी जिलों में जिला स्तरीय यात्री परिवहन समिति गठित की जाएगी।
इसके अलावा, रीवा और ग्वालियर में फिलहाल जो कंपनियां चल रही हैं, उन्हें बंद कर वहां नई क्षेत्रीय कंपनियां बनाई जाएंगी, ताकि सेवा बेहतर हो सके और अधिक से अधिक लोगों को फायदा मिल सके।