फिर लौट आया कोरोना: JN.1 वैरिएंट की दस्तक से बढ़ी चिंता, जानें राज्यों का हाल और जरूरी सावधानियां

एशिया में कोरोना की वापसी: क्या भारत को भी सतर्क रहना चाहिए?-एशिया के कई देशों में कोरोना के मामलों में फिर से तेज़ी देखी जा रही है, जिससे भारत में भी चिंता बढ़ गई है। क्या यह एक नया खतरा है या बस मामूली बढ़ोतरी? आइए इस पर विस्तार से बात करते हैं।
JN.1 वैरिएंट और वैश्विक चिंता-दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 ने चिंता बढ़ा दी है। यह ओमिक्रॉन का एक सब-वैरिएंट है जो बहुत तेज़ी से फ़ैलता है। कुछ जगहों पर LP.8.1 नाम के दूसरे वैरिएंट की भी पुष्टि हुई है। JN.1 इम्यूनिटी सिस्टम को कमज़ोर कर सकता है, जिससे संक्रमण का असर गंभीर हो सकता है। हालांकि WHO ने इसे अभी ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ माना है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। मास्क, सैनिटाइज़र और सोशल डिस्टेंसिंग अभी भी ज़रूरी हैं।
महाराष्ट्र में स्थिति: चिंता की घंटी-महाराष्ट्र में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जनवरी से अब तक 6,066 सैंपल में से 106 पॉज़िटिव पाए गए हैं। मुंबई में ही 101 केस हैं। 52 मरीज़ इलाज करवा रहे हैं, जिनमें ज़्यादातर मामूली लक्षण हैं। हालांकि, मुंबई में दो मौतें हुई हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ये मरीज़ पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। फिर भी, इतने केस बढ़ना चिंता का विषय है।
अन्य राज्यों में स्थिति और सावधानी-हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद में तीन नए केस मिले हैं। केरल में मई में 182 नए केस सामने आए हैं, जिनमें से सबसे ज़्यादा कोट्टायम में हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ने नई गाइडलाइन जारी की हैं, जिसमें सार्वजनिक जगहों पर मास्क ज़रूरी कर दिया गया है। ये संख्या कम लग सकती है, लेकिन ये बताती है कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है।
सतर्कता ही बचाव-हालांकि कोरोना के मामले अभी बहुत ज़्यादा नहीं हैं, लेकिन एशिया में बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत को सतर्क रहने की ज़रूरत है। सावधानी और जागरूकता ही इस संक्रमण को फैलने से रोक सकती है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का पालन करना और अपनी सुरक्षा खुद करना बहुत ज़रूरी है।




