लाइफ स्टाइल

क्या आप जानते हैं भारत में चाय कैसे पहुंची?

नई दिल्ली। इसमें कोई शक नहीं है कि चाय भारत की रगों में दौड़ती है। एक औसत भारतीय के लिए, दिन की शुरुआत एक गर्म कप चाय के बिना अधूरी-सी रहती है। घर से निकलते समय एक कप, ऑफिस पहुंचकर एक कप और फिर शाम को थकान मिटाने के लिए एक कप ‘चाय’ हर पल हमारे साथ रहती है।
भारतीय चाय का स्वाद इतना अनूठा है कि इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ एक पेय नहीं है, बल्कि अपने आप में एक अनुभव है। आजकल तो भारत की मसाला चाय दुनिया भर में मशहूर हो चुकी है। कई देशों में, “चाय” शब्द का मतलब ही भारतीय शैली की चाय हो गया है।
यह बात सुनकर आपको हैरानी होगी कि भारत में चाय की लोकप्रियता इतनी पुरानी नहीं है। कुछ दशक पहले तक, कई भारतीयों ने चाय का स्वाद तक नहीं चखा था। ब्रिटिश शासन के दौरान चाय भारत आई थी और तब से इसमें कई बदलाव हुए। आज यह भारतीय चाय के नाम से दुनिया भर में पहचानी जाती है। आइए इस आर्टिकल में पढ़ते हैं इस स्वादिष्ट पेय का दिलचस्प इतिहास।

गलती से हुई थी चाय की खोज

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चाय का इतिहास ब्रिटेन से नहीं, बल्कि चीन से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि चाय का आविष्कार 2732 ईसा पूर्व में चीन के शासक शेंग नुंग ने एक अनजाने से हुए प्रयोग के दौरान किया था। कहते हैं कि उन्होंने गलती से जंगली पौधे की पत्तियों को उबलते पानी में गिरा दिया था और तभी उन्हें एक अद्भुत खुशबू महसूस हुई। पानी का रंग भी बदल गया था। जिज्ञासावश उन्होंने इस पेय को चखा और उन्हें यह इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे नियमित रूप से पीना शुरू कर दिया।

अंग्रेजों से पुराना है भारत में चाय का इतिहास

भारत में चाय का आगमन अंग्रेजों के आने के बाद हुआ, यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे पहले 1200 से 1600 के बीच भी भारत में चाय का सेवन किया जाता था? असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में तो चाय जंगलों में स्वत: उगती थी। सिंगफो आदिवासी समुदाय सहित कई अन्य आदिवासी समूह इस जंगली चाय को इसके सेहत से जुड़े फायदों के लिए पीते थे।
यूरोप, मध्य पूर्व और चीन के साथ व्यापार मार्गों के चलते भारतीय शहरों में चाय पीने के प्रमाण मिलते हैं। उदाहरण के लिए, 17वीं सदी के अंत में गुजरात के शहर सूरत में लोग पेट दर्द और सिरदर्द जैसी बीमारियों के लिए चीन से आयातित चाय का इस्तेमाल करते थे।

ब्रिटिश राज और भारतीय चाय उद्योग का जन्म

भारत में औद्योगिक चाय उत्पादन का इतिहास ब्रिटिश साम्राज्य और चीन के बीच हुए संघर्ष से जुड़ा हुआ है। चीन के साथ चाय व्यापार में बाधा आने पर, ब्रिटिशों ने असम के जंगलों में चाय के पौधे लगाने शुरू कर दिए। शुरुआत में, ज्यादातर भारतीय चाय का उत्पादन निर्यात के लिए होता था और घरेलू बाजार में इसकी खपत बहुत कम थी। हालाँकि, 20वीं सदी की शुरुआत में वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण, चाय उत्पादकों को घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा। विज्ञापनों के माध्यम से चाय की लोकप्रियता बढ़ाने के प्रयास किए गए और धीरे-धीरे भारतीयों ने चाय पीने की आदत डाल ली।

भारतीयों ने चाय को दिया एक नया स्वाद

भारतीयों ने चाय बनाने का अपना अनूठा तरीका निकाला। उन्होंने चाय की पत्तियों को सीधे पानी या दूध में उबालना पसंद किया, ना कि उबले हुए पानी में डालना। ब्रिटिशों से उन्होंने दूध और चीनी मिलाने का तरीका जरूर सीखा, लेकिन भारतीयों ने इसमें अपना बदलाव किया। उन्होंने चाय की ताकत बढ़ाने के लिए पिसी हुई चाय की पत्तियों की मात्रा बढ़ा दी।

भारतीय चाय विक्रेताओं ने चाय में स्थानीय मसाले डालकर इसका स्वाद और बढ़ा दिया। उन्होंने चाय को अदरक, इलायची, दालचीनी, लौंग और तेज पत्ते जैसी चीजों के साथ उबाला। यही कारण है कि हमारी मसाला चाय दुनिया भर में मशहूर है। हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता कि मसाला चाय सबसे पहले कहाँ और कैसे बनाई गई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button