उत्तराखण्ड

सिटी पेट्रोल यूनिट भी इन रईसजादों पर लगाम लगाने में विफल

देहरादून।शराब और हुड़दंग के बीच अगर रफ्तार का ‘खेल’ भी शामिल हो जाए तो जान का खतरा तय है। कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों राजधानी दून की सड़कों का है। शाम ढलते ही शहर की सड़कों पर रईसजादों के रफ्तार के शौंक ने आमजन का जीना मुश्किल कर दिया है। देर रात हो रही दुर्घटनाओं में पुलिस, यातायात पुलिस और आधुनिक तकनीक से लैस सिटी पेट्रोल यूनिट भी इन रईसजादों पर लगाम लगाने में विफल साबित हो रही है।
हकीकत यह है कि पुलिस चेकिंग में सिर्फ आमजन पकड़े जाते हैं पर ‘बिगड़ैलों’ पर कभी पुलिस का ‘चाबुक’ नहीं चलता। हुड़दंग और वाहनों की रफ्तार की होड़ में कई बार आमजन अकाल मृत्यु का शिकार बन रहे तो कभी खुद रफ्तार के शौंकीन अपनी जान गवां दे रहे।
छह घरों के चिराग बुझे
सोमवार देर रात कैंट क्षेत्र में हुई सड़क दुर्घटना ने छह घरों के चिराग बुझने की घटना ने सरकार और शासन से लेकर जिला प्रशासन, पुलिस व परिवहन विभाग, यहां तक कि शहर के हर जन को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दुर्घटना हुए 40 घंटे से ऊपर का समय हो चुका है, लेकिन बुधवार को पूरा दिन सरकारी कार्यालयों व शहर के बाजार से लेकर हर घर में इस भयावह दुर्घटना को लेकर चर्चा होती रही।
हर कोई परेशान एवं चिंता में व चर्चा करता हुआ दिखा कि आखिर दून शहर में यह हो क्या रहा है। कैसे एक झटके में छह युवा जिंदगी काल के गाल में समा गई। सभी की जुबां पर सिर्फ एक ही बात थी कि शहर में शराब और रफ्तार पर नियंत्रण जब तब नहीं लगेगा, तब तक शहर के हाल नहीं सुधर सकते। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी दुर्घटना के बाद काफी चिंतित हैं और पुलिस-प्रशासन को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
435 दुर्घटना में गई 158 लोगों की जान
अंधेरी रात व सुनसान राहों पर, कब कौन-कहां आपको रौंद जाए, बताया नहीं जा सकता। जी हां, राजधानी की सड़कों पर बेलगाम वाहनों के जो हालात हैं, वह बाकी वाहनों व पैदल चलने वालों के लिए मौत का सबब बन चुके हैं। इस वर्ष जनवरी से अक्टूबर तक दून में कुल 435 सड़क दुर्घटना हुई हैं, जिनमें 158 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 376 गंभीर रूप से घायल हुए।
पुलिस जांच में सामने आया कि इनमें 75 प्रतिशत से अधिक दुर्घटना शराबी चालक और बेलगाम गति के कारण हुई। खास बात यह है कि ज्यादातर दुर्घटनाएं रात में हुई, वह भी सुनसान व खाली सड़कों पर। ऐसे में भलाई इसी में है कि आप खुद को सुरक्षित रखने के जितने प्रयास हो सकें, उन्हें अपनाकर ही सड़क पर चलें।
पर्याप्त संसाधान, फिर भी शराबियों पर लगाम नहीं
दून में ड्रंकन ड्राइविंग पर लगाम लगाने के लिए कुछ वर्ष पहले तक पुलिस संसाधनों के अभव का रोना रोती रहती थी, लेकिन अब पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद पुलिस कदम नहीं उठा रही। पुलिस के पास वर्तमान में आठ इंटरसेप्टर व 100 से अधिक एल्कोमीटर हैं, इसके बावजूद शराबी चालक बेधड़क सड़कों पर वाहनों को दौड़ा रहे।
शहर के दुर्घटना के 23 खतरनाक जोन
घंटाघर, दर्शनलाल चौक, प्रिंस चौक, सहारनपुर चौक, तहसील चौक, जीएमएस रोड, बल्लूपुर चौक, बल्लीवाला चौक, मसूरी डायवर्जन, जाखन तिराहा, आरटीओ तिराहा, आइएसबीटी तिराहा, रिस्पना पुल तिराहा, आराघर जंक्शन, रेसकोर्स चौराहा, ओएनजीसी-केडीएमआइपी चौक, किशननगर तिराहा, कारगी चौक, सेंट ज्यूडस तिराहा, अजबपुर चौक-हरिद्वार बाईपास, लालपुल तिराहा, कमला पैलेस और सर्वे चौक।
इन इलाकों में रफ्तार का ‘खेल’
मसूरी हाईवे, राजपुर रोड, सहस्रधारा रोड, सहस्रधारा बाइपास, जीएमएस रोड, कैंट रोड, रेसकोर्स, जोगीवाला रिंग रोड, चकराता रोड, बलबीर रोड, वसंत विहार, क्लेमेनटाउन, सहारनपुर रोड आदि।
ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करेगा परिवहन विभाग
बेलगाम गति से अंधाधुंध गाड़ी दौड़ाने या रफ्तार के रोमांच के शौकीनों पर कार्रवाई को लेकर परिवहन विभाग ने तैयारी कर ली है। यातायात व परिवहन नियम तोड़ने वालों के विरुद्ध अब परिवहन विभाग ने किसी भी शिथिलता न बरतने की योजना बनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय की ओर से निर्धारित सड़क सुरक्षा से जुड़े छह अपराध में सीधे ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने कार्रवाई का आदेश दिया है।
आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा ने बताया कि अब तक इन छह अपराध में तीन माह के लिए लाइसेंस निलंबित होता था, लेकिन अब सीधे लाइसेंस के निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। संबंधित चालक 12 माह तक नया लाइसेंस बनाने के लिए आवेदन भी नहीं कर सकेगा। गाड़ी का कैमरों के माध्यम से आनलाइन चालान करने के साथ ही उसका नंबर परिवहन विभाग के साफ्टवेयर में ब्लाक कर दिया जाएगा।

 

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