
मंदसौर (मध्य प्रदेश में चीता): मध्य प्रदेश का गांधीसागर अभयारण्य 20 अप्रैल से देश में चीतों का दूसरा घर बनने जा रहा है। नामीबिया और साउथ अफ्रीका से लाए गए चीतों की कुनो नेशनल पार्क (श्योपुर) में बढ़ती संख्या और भविष्य में और भी विदेशी चीतों को लाने की योजना को देखते हुए गांधीसागर को दूसरा ठिकाना चुना गया है। ये सब चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद दो चीतों को गांधीसागर में बने बाड़े में छोड़ेंगे, जो कुनो नेशनल पार्क में जन्मे हैं। बारिश के मौसम के बाद यहां विदेशी चीतों को भी लाया जा सकता है। गांधीसागर अभयारण्य, कुनो से करीब 300 किलोमीटर दूर है। यहां का वातावरण भी कुनो जैसा ही है, जो चीतों के लिए बिलकुल सही माना जा रहा है। 450 हिरन, चीतल और चिंकारा छोड़े गए चीतों के लिए यहां एक बड़ा बाड़ा बनाया गया है और उनके शिकार के लिए बड़ी-बड़ी घास के मैदान भी तैयार किए गए हैं। इसके साथ ही, दूसरे अभयारण्यों से यहां करीब 450 हिरन, चीतल और चिंकारा लाए गए हैं ताकि चीतों को खाने की दिक्कत न हो। धीरे-धीरे इनकी संख्या भी बढ़ रही है। 64 वर्ग किलोमीटर में फैले इस इलाके में कुल 8 बाड़े बनाए गए हैं।
गांधीसागर को मिला पहला स्थान कुनो से लाए जा रहे दोनों चीतों को गांधीसागर के खेमा ब्लॉक में बने 15.4 वर्ग किमी के बाड़े में छोड़ा जाएगा। बता दें कि साल 2022 में जब भारत में चीतों को बसाने का विचार किया गया था, तब इस प्रोजेक्ट के लिए देशभर की पाँच जगहों को चुना गया था। विशेषज्ञों ने तब गांधीसागर को पहली प्राथमिकता दी थी और कुनो को दूसरे नंबर पर रखा था। लेकिन उस समय कुनो नेशनल पार्क में एशियाई शेरों को बसाने की तैयारी चल रही थी, इसलिए कुछ और व्यवस्थाओं की ज़रूरत थी। इसी वजह से पहले चरण में चीतों को कुनो में बसाने का फैसला किया गया। सीएम बोले – भारत में चीतों की ब्रीडिंग रेट दुनिया में सबसे बेहतर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भारत में चीतों का प्रजनन दर 75% है, जो दुनिया में सबसे अच्छा माना जा रहा है। कुनो नेशनल पार्क में अब तक कुल 20 चीते विदेश से लाए गए हैं और अब तक यहां 21 शावकों ने जन्म लिया है। इन बच्चों में से करीब 75% अभी भी ज़िंदा हैं, जो कि चीता प्रोजेक्ट की बहुत बड़ी सफलता है। मुझे खुशी है कि अब हम इस प्रोजेक्ट को अगले स्तर पर ले जा रहे हैं।