उज्जैन (प्रयागराज महाकुंभ 2025): प्रयागराज महाकुंभ में भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन की धूम मची हुई है। मध्य प्रदेश का संस्कृति विभाग यहां नृत्य, नाटक, गायन, वादन और चित्रों के जरिए उज्जैन की कला, संस्कृति और विरासत का शानदार प्रदर्शन कर रहा है। यह आयोजन महाकुंभ में आए लाखों श्रद्धालुओं को न सिर्फ आनंदित कर रहा है बल्कि उन्हें उज्जैन आने का भी निमंत्रण दे रहा है। महाकाल की भस्म आरती, शिप्रा आरती, 84 महादेव, सम्राट विक्रमादित्य, राजा भोज, मलखंभ, वैदिक घड़ी और मटकी नृत्य जैसे कार्यक्रम लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। प्रयागराज में मध्य प्रदेश मंडपम् का जलवा हर शाम 7 बजे गंगा तट पर नर्मदा, शिप्रा और अन्य पवित्र नदियों का गायन हो रहा है। प्रयागराज में बने ‘मध्य प्रदेश मंडपम्’ में लोक कलाकार हर दिन अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए मध्य प्रदेश की गौरवशाली धरोहर को प्रस्तुत कर रहे हैं। उज्जैन की प्रसिद्ध नृत्य गुरु प्रतिभा रघुवंशी 22 से 24 जनवरी तक मालवी-कथक शैली में शिप्रा आरती की प्रस्तुति करेंगी। मलखंभ और मटकी नृत्य का भी प्रदर्शन गौरव तिवारी 31 जनवरी से 2 फरवरी तक मलखंभ का प्रदर्शन करेंगे, जबकि विनती जैन और उनकी टीम 3 से 5 फरवरी के बीच मटकी नृत्य पेश करेंगी। इसी दौरान संजीव मालवीय के निर्देशन में भोजदेव नृत्य नाटक और कृष्णायन नृत्य नाटक का मंचन भी होगा।
भगवान शिव के 84 स्वरूप और अन्य खास कार्यक्रम 15 से 17 फरवरी तक शिरीष राजपुरोहित के निर्देशन में ‘महादेव’ और 18 से 20 फरवरी तक ‘श्रीकृष्ण लीला’ पर आधारित नृत्य नाटिकाएं आयोजित की जाएंगी। देवकरण मालवीय 24 से 26 फरवरी तक भक्ति गायन प्रस्तुत करेंगे, वहीं चित्रांशी उखेल मटकी नृत्य की प्रस्तुति देंगी। 21 से 26 फरवरी के बीच भगवान शिव के 84 स्वरूपों पर आधारित ‘महादेव’ नामक चित्र प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। आने वाले महाकुंभ की तैयारी शुरू प्रयागराज के बाद अगला महाकुंभ 2027 में नासिक और 2028 में उज्जैन में आयोजित होगा। इसके लिए राज्य सरकारों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन महाकुंभ के लिए 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने कहा कि श्रद्धालु यहां मध्य प्रदेश की समृद्ध कला, संस्कृति और विरासत का अनुभव कर रहे हैं और इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं।