मध्यप्रदेश
Trending

यूनियन कार्बाइड कचरा जलाने का ट्रायल तय, हवा की शुद्धता पर होगी कड़ी निगरानी

भोपाल गैस त्रासदी का कचरा जलाने की मंजूरी, हाईकोर्ट के आदेश पर तीन चरणों में होगी निगरानी

भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले जहरीले कचरे को पीथमपुर की री-सस्टेनेबिलिटी कंपनी में जलाने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि यह काम तीन चरणों में ट्रायल के रूप में पूरा किया जाए, जिसमें पर्यावरण सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाएगा। वायु प्रदूषण पर रखी जाएगी कड़ी नजर इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी का जिम्मा मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) को सौंपा गया है। कंपनी परिसर के चारों ओर वायु गुणवत्ता मापने के लिए आधुनिक यंत्र लगाए गए हैं, जो हवा में मौजूद धूल, जहरीली गैसों और अन्य हानिकारक तत्वों की लगातार जांच करेंगे। कचरा जलाने के दौरान रियल-टाइम मॉनिटरिंग भी होगी ताकि पर्यावरण पर इसके असर का तुरंत आकलन किया जा सके। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जलाने की प्रक्रिया से किसी भी तरह का गंभीर प्रदूषण न फैले। जनवरी 2024 में ही यूनियन कार्बाइड का यह कचरा पीथमपुर लाया गया था। यहां पहले से ही कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (CAAQMS) मौजूद है, जो 24 घंटे हवा की गुणवत्ता की निगरानी करता है। इन आंकड़ों को कंपनी के मुख्य द्वार पर लगे डिजिटल डिस्प्ले पर दिखाया जाएगा ताकि आम लोग भी वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता की स्थिति देख सकें।

1200 डिग्री सेल्सियस पर जलेगा कचरा, मार्च तक पूरे होंगे ट्रायल 27 फरवरी से 27 मार्च के बीच तीन ट्रायल किए जाएंगे, जिसमें हर बार 10-10 टन कचरा जलाया जाएगा। इसे 1200 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान पर जलाया जाएगा, जिससे हानिकारक रसायन पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने ऊंचे तापमान पर जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने वाले तत्व खत्म हो जाते हैं, जिससे हवा और पानी पर इसका असर न्यूनतम रहेगा। राख के सुरक्षित निपटान की व्यवस्था कचरा जलाने के बाद बचने वाली राख को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए कंपनी परिसर में विशेष लैंडफिल सेल बनाए गए हैं। राख को डबल-लेयर हाई-डेंसिटी पॉलीथीन में सील करके रखा जाएगा, जिससे यह लंबे समय तक सुरक्षित बनी रहे और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। इन चार लैंडफिल सेल को ऐसे पठारी इलाके में स्थापित किया गया है, जहां से भूजल या अन्य पर्यावरणीय कारकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। ट्रायल के दौरान विभिन्न स्तरों पर होगी निगरानी

कचरा जलाने की प्रक्रिया के दौरान तीन अलग-अलग स्तरों पर निगरानी रखी जाएगी:
✅ 135 किलोग्राम प्रति घंटा
✅ 180 किलोग्राम प्रति घंटा
✅ 270 किलोग्राम प्रति घंटा

इन ट्रायल्स के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि भविष्य में ऐसे जहरीले कचरे के निपटान की प्रक्रिया को कैसे अपनाया जाए। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पीथमपुर में यह योजना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
गुलाब जल बदल सकता हैं और आएगा रंग रूप निखार नए समय में लोग नारियल तेल लगाना भूल चके हैं जानते हैं अनोखे फायदे