छठ घाट पर जरूर बरतें ये सावधानियां

नई दिल्ली। : बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड का महापर्व छठ पूजा 5 नवंबर से शुरू होकर 8 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। 5 तारीख को नहाय-खाय, 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य और 8 नवंबर को सुबह अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। इस दौरान ठेकुआ, मौसमी फलों आदि को प्रसाद के रूप में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है। इसलिए इसे सबसे कठिन व्रत माना जाता है।
आपको बता दें कि सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के लिए पानी में उतरा जाता है। इसके लिए नदी, तालाब आदि का रुख किया जाता है। कई लोग पार्क आदि में बने छोटे तालाबों में भी अर्घ्य देने जाते हैं। इसके लिए इन घाटों को सुंदर ढंग से सजाया जाता है, जिसका मनोहर दृश्य सभी का दिल जीत लेता है। हजारों की तादाद में लोग इन घाटों पर अर्घ्य देने के लिए इकट्ठा होते हैं।
हालांकि, इन तालाबों या नदी का पानी अगर दूषित हो, तो इसके कारण सेहत को काफी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, पानी के तेज बहाव या गहराई के कारण भी दुर्घटना होने का खतरा रहता है। इसलिए जरूरी है कि छठ पूजा के दौरान आप कुछ बातों का ध्यान रखें, जिससे आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकें। आइए जानें।
छठ घाटों पर पानी में उतरते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अगर आप नदी में उतर रहे हैं, तो उसकी गहराई का ध्यान रखें और खतरे के साइन बोर्ड को पार न करें। नदियों और तालाबों में पुलिस द्वारा साइन बोर्ड लगाया जाता है कि इस सीमा के बाद पानी गहरा है। उस बोर्ड को पार न करें, क्योंकि वहां हादसा होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। साथ ही, घाटों पर मेडिकल इमरजेंसी के लिए भी सुविधाएं रहती हैं। अगर किसी को चोट लग जाए या कोई हादसा हो, तो वहां तैनात प्रशासनिक कर्मचारियों से मदद लें।
इस पर्व में नदी या तालाब में डुबकी भी लगाते हैं। हालांकि, इसके बाद भी कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। अगर पानी दूषित हो, तो इससे इन्फेक्शन हो सकता है। वैसे भी, उस पानी में कई लोग एक साथ जाते हैं, इसलिए भी सावधानी बरतना जरूरी है। पानी आंख, नाक या कान में जाने से बीमारी होने का खतरा रहता है। साथ ही, स्किन इन्फेक्शन का खतरा भी रहता है।
इसलिए कोशिश करें कि अगर पानी गंदा हो, तो उसमें डुबकी न लगाएं और अगर आपको ऐसा करना भी पड़ रहा है, तो ध्यान रहे कि पानी आंख, नाक, कान और मुंह में न जाए। साथ ही, तालाब से निकलने के बाद घर आकर भी दोबारा स्नान करें और किसी एंटीबैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल करें।
घाट पर भी ज्यादा समय तक गीले कपड़ों में न रहें। गीले कपड़े में ज्यादा देर तक रहने की वजह से स्किन इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा, घर आकर अपने बालों और त्वचा को अच्छी तरह से सुखाएं। गीली जगहों पर बैक्टीरिया आसानी से पनपते हैं।