कूनो में ब्रीडिंग सेंटर से होगा चीतलों का ‘प्रोडक्शन’, ताकि चीतों को न जाना पड़े गांव

श्योपुर: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में बसे कूनो नेशनल पार्क में जब से चीतों की तादाद बढ़ी है, तब से उनके खाने-पीने का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। अब चीतों को भरपूर खाना मिले, इसके लिए उनके पसंदीदा शिकार चीतल की संख्या बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इसके तहत कूनो इलाके के बागचा गांव में करीब 50 हेक्टेयर ज़मीन पर चीतलों के लिए एक ब्रीडिंग एन्क्लोजर यानी प्रजनन बाड़ा तैयार किया जा रहा है। कूनो प्रबंधन की मानें तो इस बाड़े का 70 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है। यहां इतने ज्यादा चीतल तैयार किए जाएंगे कि चीतों को साल भर खाने की कमी न हो। दरअसल, फिलहाल कूनो में कुल 26 चीते हैं, जिनमें से 17 खुले जंगल में घूम रहे हैं। लेकिन जंगल में शिकार कम होने की वजह से कई बार ये चीते आसपास के गांवों की ओर भटक जाते हैं।
पिछले 15 दिन में दो बार गांव पहुंचे चीते
हाल के दिनों में दो बार ऐसा हुआ जब चीते गांव में घुस आए। इससे न सिर्फ चीतों की जान को खतरा है बल्कि ग्रामीणों में डर भी बना हुआ है। जंगल में घूम रही ज्वाला नाम की मादा चीता अपने चार बच्चों के साथ श्योपुर के विजयपुर इलाके के श्यामपुर गांव तक पहुंच गई। शुक्रवार को उसने एक किसान के खेत में बंधी छह बकरियों को मार डाला। इससे पहले भी उसने एक बछड़े पर झपटने की कोशिश की थी, लेकिन गांववालों ने पत्थर फेंककर उसे भगा दिया।
चीतल प्रजनन केंद्र का काम लगभग पूरा
सिंह परियोजना के निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि चीता प्रोजेक्ट के तहत 2023 में बागचा गांव को वहां से हटाकर खाली कराया गया था और अब उसी 50 हेक्टेयर जमीन पर चीतलों के प्रजनन का इंतजाम किया जा रहा है। इस ब्रीडिंग एन्क्लोजर से अगले छह महीने के प्रजनन सीजन में काफी बड़ी संख्या में चीतल तैयार होंगे, जिन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा। वैसे कूनो में सिर्फ चीते ही नहीं, तेंदुए और दूसरे जानवर भी चीतल का शिकार करते हैं।
ग्रामीण ने चीतों को पिलाया पानी, वीडियो वायरल
जंगल से भटककर जब चीते गांवों में आ जाते हैं तो न केवल खुद उनके लिए खतरा बढ़ता है, बल्कि गांववाले भी दहशत में आ जाते हैं। लेकिन इस बीच विजयपुर तहसील के डोब गांव से एक भावुक करने वाला वीडियो सामने आया है। वीडियो में एक ग्रामीण सत्या गुर्जर एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे चीतों को पानी पिलाते नजर आ रहा है। हुआ ये कि शुक्रवार को जब ज्वाला और उसके चार शावकों ने ऊमरीकलां गांव में छह बकरियों का शिकार किया, तो फिर वे डोब गांव आ गए और वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गए। ट्रैकिंग टीम को लगा कि वे कहीं प्यास से गांव में न घुस जाएं, इसलिए उन्होंने मौके पर ही पानी की व्यवस्था की। ग्रामीण सत्या गुर्जर एक केतली में पानी भरकर लाया और परात में डालकर चीतों को पिलाया। चीतों ने भी उसकी आवाज़ सुनकर आराम से आकर पानी पिया और फिर वहां से निकल गए।