Join us?

देश

Special Reports :राजनीति में आने वाला समय युवाओं का

रायपुर। देश में आम चुनाव की तैयारी चल रही है। प्रथम पंक्ति की राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है । राष्ट्रीय दल परिवर्तन की बात कर रहे हैं जो उनकी कार्यशैली में संकेत मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ सहित देश में यह बदलाव है। विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी में यह संकेत स्पष्ट है।
तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के चुनाव से बात साबित हुई है। अब लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के ऐलान का माहौल बन रहा है। इसमें चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक प्रत्याशी ऐलान में भी परिवर्तन का ऐलान होगा और अंतिम पंक्ति का एक आम कार्यकर्ता प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है और उनमें अधिकांश युवा प्रत्याशी होंगे। इस इस बात की चर्चा हो रही है । छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दो प्रमुख राजनीतिक दल है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 9 सांसदों ने चुनाव जीता था जबकि दो सांसद कांग्रेस से चुने गए थे। इस बार दोनों दल का दावा है कि 11 सीट पर विजय दर्ज होगी। लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी मोदी का फार्मूला अपना कर प्रत्याशी घोषित करेगी। यानी की नए चेहरे को मौका दिया जाएगा। अब वह चेहरा कौन होगा इस पर मौन है। प्रवक्ता से लेकर कार्यकर्ता और पदाधिकारी सभी उत्साहित है कि उनको मौका मिल सकता है। तैयारी भी चल रही है। यही हाल कांग्रेस के अंदर भी है। कांग्रेस ने भी युवाओं को मौका देना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों कांग्रेस के अंदर जो नियुक्तियां हुई है उससे यह बात स्पष्ट होती है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट की नियुक्ति से समझा जा सकता है। जबकि भाजपा में मोदी राज की कार्यशाली को समझने की कोशिश करें तो स्पष्ट है कि प्रायोरिटी युवा है इसलिए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू सहित कई बड़े युवा नेता चुनावी दौड़ में सामने आ सकते हैं। विश्लेषक कहते हैं कि 50-50 का फार्मूला अपनाया जाएगा। पांच नए चेहरे 6 पुराने चेहरे प्रत्याशी के तौर पर होंगे लेकिन यह चुनौती भी है, क्योंकि दोनों दल तैयारी में है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर देश भ्रमण कर रहे राष्ट्रीय कांग्रेस के राहुल गांधी ने संकेत दे दिए हैं । प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और प्रदेश महामंत्री मलकीत सिंह गेंदू को बनाया गया है जो राहुल फॉर्मूले पर चल रहे हैं, यानी या कहा जाए कि कांग्रेस भी 11 सांसद प्रत्याशी चुनाव में युवाओं को देख रही है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व डेप्युटी सीएम रहे टीएस सिंह देव को दिल्ली कांग्रेस ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पार्टी के किनारे होते नजर आ रहे हैं। हालांकि उनके समर्थक कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रीय गठबंधन समिति के 5 सदस्यों में भूपेश बघेल को भी शामिल किया गया है।
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के एक बड़े फैसले से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सियासत की कहानी साफ हो जाती है। राजस्थान और मध्यप्रदेश के साथ ? सिंहदेव को 2024 की लोकसभा के लिए कांग्रेस की घोषणापत्र समिति का संयोजक बनाया गया है। सिंहदेव ने कहा है कि भारत के सपने ‘न्यायÓ की पटकथा लिखने के लिए कांग्रेस हमेशा तैयार है। इसके साथ सियासी गलियारे में कई तरह की खुसफुसाहट शुरु हो गई है। साथ ही कांग्रेस के इस फैसले के मायने निकाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल को दरकिनार कर कांग्रेस आलाकमान ने सिंहदेव को जो ये जिम्मेदारी सौंपी है, उससे साफ है कि वो उनकी कीमत और अहमियत समझती है। याद रहे कि टीएस सिंहदेव 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले बनी कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के संयोजक थे। समाज के सभी वर्गों से बात कर और पूरे प्रदेश का दौरा कर उन्होंने घोषणापत्र बनाया था। उनके घोषणापत्र का ही कमाल था कि कांग्रेस की झोली में 67 सीटें आईं और 15 साल से सत्ता में रही भाजपा बाहर हो गई।
भाजपा में केंद्र-राज्यों के संगठन के साथ-साथ सरकारों में नया नेतृत्व उभारने के लिए पीढ़ी परिवर्तन का सिलसिला और तेज होगा। खासतौर से पार्टी की इस नीति का असर लोकसभा चुनाव में दिखेगा। आगामी लोकसभा चुनाव में दो बार चुनाव लड़ चुके नेताओं के लिए तीसरी बार टिकट हासिल करना बेहद मुश्किल होगा। अगर सामाजिक समीकरण के साथ विकल्पहीनता को मजबूरी सामने नहीं आई तो ऐसे ज्यादातर नेता भविष्य में नई भूमिका में दिखाई देंगे। सूत्रों ने बताया कि हालांकि पीढ़ी परिवर्तन का सिलसिला नया नहीं है। साल 2014 में केंद्र की सत्ता में आते ही पार्टी ने इस ओर आगे कदम बढ़ाना शुरू किया था। लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी जिन राज्यों में सत्ता में आई, उनमें से ज्यादातर राज्यों में पार्टी ने पुराने चेहरे की जगह नए चेहरों को तरजीह दी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में टिकट वितरण से लेकर सरकार गठन तक में पार्टी ने इस नीति के अमल में सख्ती दिखाई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button