उत्तराखण्ड
Trending

शादी के लिए यूसीसी में नई शर्तें तय, जानें किन हालात में अमान्य होगी शादी

उत्तराखंड: उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने की तैयारी पूरी, शादी के नियम अब साफ उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की तैयारी अंतिम चरण में है। सरकार कभी भी इसकी घोषणा कर सकती है। साथ ही, इससे जुड़े नियम भी जारी हो चुके हैं। खासतौर पर शादी से जुड़े नियमों को लेकर सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। गाइडलाइन में बताया गया है कि कुछ शर्तों के आधार पर ही शादी को वैध माना जाएगा। भाग 1: शादी की रस्में और परंपराएं उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 के तहत हर तरह की धार्मिक और परंपरागत शादी को मान्यता दी जाएगी। चाहे वह सप्तपदी, निकाह, आशीर्वाद, होली यूनियन, या आनंद कारज हो—हर प्रकार की शादी इस अधिनियम के दायरे में होगी। इसके अलावा, विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और आर्य विवाह मान्यकरण अधिनियम, 1937 के तहत हुई शादियां भी मान्य रहेंगी।
हालांकि, कुछ बुनियादी शर्तें पूरी करनी होंगी, जैसे:
– शादी की न्यूनतम उम्र पूरी हो।
– दोनों पक्ष मानसिक रूप से स्वस्थ हों।
– किसी का पहले से जीवनसाथी न हो।

इन नियमों का उद्देश्य शादी से जुड़े कानूनी मानकों को सुनिश्चित करना है, साथ ही राज्य की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक स्वतंत्रता को भी बनाए रखना है। भाग 2: अमान्य और रद्द करने योग्य विवाह हालांकि परंपरागत शादियों को मान्यता दी गई है, लेकिन कुछ स्थितियों में विवाह को अमान्य (Void) या रद्द करने योग्य (Voidable) घोषित किया जा सकता है। अगर शादी के दौरान कोई अहम शर्त पूरी नहीं होती, तो वह शादी वैध नहीं मानी जाएगी। जैसे:
– शादी के समय किसी पक्ष का पहले से शादीशुदा होना।
– मानसिक सहमति में कमी।
– ऐसे रिश्तों में शादी करना जो कानूनी रूप से निषिद्ध हों।

ऐसे मामलों में, दोनों पक्षों में से कोई भी अदालत में याचिका देकर शादी को शून्य घोषित करने की मांग कर सकता है। बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा इस अधिनियम का एक अहम पहलू यह है कि अगर शादी अमान्य या रद्द भी हो जाए, तो उससे जन्मे बच्चों को पूरी कानूनी वैधता (Legitimacy) दी जाएगी। यह प्रावधान बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है और उनके भविष्य को सुरक्षित बनाता है। निष्कर्ष  उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024, विवाह प्रक्रिया को सरल और कानूनी रूप से पारदर्शी बनाने के साथ-साथ राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को सम्मान देता है। यह समाज के हर वर्ग के अधिकारों की रक्षा करते हुए सभी के लिए न्यायसंगत व्यवस्था सुनिश्चित करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
नए समय में लोग नारियल तेल लगाना भूल चके हैं जानते हैं अनोखे फायदे 8 सेहतमंद नाश्ते जो आपको पूरे दिन रखेंगे Active