पेसा कानून के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश अग्रणीः मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल
भोपाल। मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि पेसा कानून वर्ष 1996 में नोटिफाइड हुआ था। मध्य प्रदेश में पेसा अधिनियम का क्रियान्वयन 15 नवंबर 2022 से नियम बनाकर लागू किया गया। प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखण्डों की 5133 पंचायतों के 11 हजार 596 ग्रामों में लागू हुआ। इस कानून एक बड़ा क्षेत्र मध्य प्रदेश है, राज्य ने कानून के क्रियान्वयन के लिये उल्लेखनीय कार्य किये हैं। पेसा कानून के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य है।
पंचायत मंत्री पटेल गुरुवार को नई दिल्ली स्थित डॉ. अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र में पेसा अधिनियम पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में केन्द्रीय पंचायती राज्य एवं मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल सहित कई राज्यों के मंत्री, प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मलय श्रीवास्तव, जनप्रतिनिधि, अधिकारी और एक्टीविस्ट शामिल हुये। मंत्री पटेल ने कहा कि मानव संसाधन की दृष्टि से मध्य प्रदेश में एक वृहद नेटवर्क बनाया गया है, जिसमें 13 जिला समन्वयक, 81 विकासखण्ड स्तरीय समन्वयक और 4824 पेसा मोबलाइजर नियुक्त किये गये है। पेसा मोबलाइजर एक नया कान्सेप्ट है, जिसे राज्य में लागू किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश में बेहतरीन कार्य किया है। पेसा कानून में अब तक ग्राम पंचायतों के निर्वाचन के बाद 165 नवीन ग्राम सभाओं का गठन हुआ है। कानून में सबसे महत्वपूर्ण विषय वित्तीय प्रबंधन है, जिसके तहत राज्य में अब तक 11 हजार 524 खाते खोले गये है, जिसमें ग्राम पंचायतें समितियों को राशि ट्रांसफर करती है। सर्वाधिक बैंक खाते खोलने में मध्यप्रदेश ने सफलता अर्जित की।
उन्होंने कहा कि वनाधिकार के सामूहिक दावों के लिए कार्य किया जा रहा है, इंडीविजुअल रूप से पट्टे देने के काम में राज्य ने सफलता अर्जित की है। भूमि प्रबंधन में तीन व्यक्तियों को विधिवत उनकी जमीन वापस दिलाई गई है, यह सफलता की पहली सीढ़ी है। अब तक लगभग 62 हजार 617 राजस्व एवं वन विभाग के खसरे को पेसा कानून के तहत समितियों को सौंपे गये हैं। शांति एवं विवाद निवारण समिति द्वारा 5365 से अधिक मामलों में बिना एफआईआर के बिना आपसी सहमति से विवाद का निपटान किया है, ऐसी 11 हजार 549 समितियाँ बनी है। सहयोगी मातृ समितियों का गठन महिला उत्थान के लिये किया गया है। इन समितियों की संख्या 20 हजार 532 है।
मंत्री पटेल ने कहा कि गौण खनिज समितियों को अब तक 131 खनिज खदानों की लीज के आवेदन प्राप्त हुये हैं। पेसा कानून के क्षेत्र में प्रशिक्षण गतिविधियां संचालित करने के लिये 16 हजार 803 गांव में जिनमें फलिया, मजरा, टोला शामिल है, प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ है। राज्य में सघन प्रशिक्षण अभियान भी आयोजित किए गए। पेसा कानून की जागरूकता के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद प्रशिक्षण में सहयोगी संस्था है। राज्य स्तरीय 100, जिला स्तरीय 800 एवं जनपद स्तरीय 35 हजार से अधिक प्रतिभागियों का प्रशिक्षित किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में साहूकारी नियंत्रण पर बनाए गए ट्रेनिंग मॉड्यूल की सभी राज्यों में सराहना हुई है। प्रदेश में पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये राज्य में उच्च स्तरीय समिति की बैठक प्रतिमाह होती है। प्रति तीन माह में राज्यपाल के नेतृत्व में स्टेडिंग कमेटी की बैठक की जाती हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पेसा कानून के लिये नोडल विभाग है। पेसा कानून के वित्तीय आवश्यकता एक महत्वपूर्ण विषय है। पिछली बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पेसा के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाएगा। पीएम जन-मन योजना में आवास देने में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। राज्य में सबसे कम समय में पीएम जन-मन आवास बनाकर पीवीजीटी को दिये गये है, यह एक बड़ी सफलता है। मादक पदार्थ नियंत्रण समितियों ने नशे की समस्या के समाधान के लिये 211 दुकानों का स्थानांतरण पेसा समितियों ने कराया गया है।
मंत्री पटेल ने कहा कि जनजातीय वर्ग की ऐसी कई समस्याएं है जिनका समाधान पेसा कानून से निकाला जा सकता है। हम सभी जनजातीय क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को जनजातीय वर्गों के साथ संवेदनशीलता के साथ कार्य करते हुये उनके सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करना चाहिये। मैदानी स्तर पर आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। सम्मेलन में केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रो. बघेल सहित अन्य राज्यों के मंत्रियों ने भी पेसा कानून क्रियान्वयन पर अपने विचार रखे।