दिल्ली

तीनों सेनाओं के पहले संयुक्त कमांडर सम्मेलन की अगुवाई करेंगे रक्षा मंत्री

नई दिल्ली। देश की सुरक्षा चुनौतियों और भावी युद्ध पर चर्चा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में 4-5 सितंबर को लखनऊ स्थित मध्य कमान मुख्यालय में तीनों सेनाओं का पहला संयुक्त कमांडर सम्मेलन होगा। ‘सशक्त और सुरक्षित भारत’ थीम पर होने वाले इस सम्मेलन में सेनाओं के प्रक्रियागत सुधार, संयुक्तता और आत्मनिर्भरता के माध्यम से सशस्त्र बलों में बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सभी सैन्य कमांडरों के साथ एक ही स्थान पर सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा के लिए रक्षा मंत्री स्तर की यह नई पहल है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान 4 सितंबर को उद्घाटन भाषण देंगे। सम्मेलन का विषय ‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में परिवर्तन’ रखा गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 5 सितंबर को रक्षा तैयारियों की समीक्षा करेंगे और शीर्ष स्तरीय सैन्य नेतृत्व को संबोधित करेंगे। सम्मेलन में क्षेत्रीय और वैश्विक वातावरण में मौजूदा अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए संभावित परिचालन और रोजगार परिदृश्यों का पता लगाया जाएगा। साथ ही भविष्य के युद्धों के लिए एक मजबूत अवधारणा विकसित करने के लिए खतरे और संसाधनों का मिलान किया जाएगा। यह सम्मेलन कमांडरों को सशस्त्र बलों की आधुनिकीकरण योजनाओं की समीक्षा करने और तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के माध्यम से राष्ट्र की रक्षा क्षमता में सुधार के तरीकों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा। थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में स्वतंत्रता के बाद रक्षा बलों का सबसे बड़ा परिवर्तन भी बैठक के एजेंडे में होगा।
यह पहला ऐसा मंच होगा जहां रक्षा मंत्री एक ही स्थान पर सेना, नौसेना, वायु सेना के सभी कमांडरों से बात करेंगे। दरअसल, फैसला लिया गया है कि प्रधानमंत्री अब हर दो साल में एक बार संयुक्त कमांडर सम्मेलन में सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे और रक्षा मंत्री के नेतृत्व में हर साल संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। देश के शीर्ष रक्षा अधिकारी सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे कि भविष्य के युद्ध कैसे लड़े जाएं और भारतीय सशस्त्र बल थिएटर कमांड में परिवर्तन के माध्यम से सुरक्षा चुनौतियों से कैसे निपटें। सम्मेलन में रक्षा बलों के विभिन्न निदेशालय अपनी-अपनी प्रस्तुतियां भी देंगे, जिसमें परिचालन भी शामिल है। सम्मेलन में सेनाओं की विभिन्न ‘मेक इन इंडिया’ पहलों और उनकी प्रगति पर भी चर्चा होगी।

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