रायपुर निगम में ठेकेदारों का फूटा गुस्सा: 30 करोड़ बकाया, फाइलें गायब और भुगतान में देरी से हड़कंप

रायपुर नगर निगम: ठेकेदारों का आक्रोश, विकास अटका!-रायपुर नगर निगम में ठेकेदारों का गुस्सा फूट पड़ा है। भुगतान में देरी और फाइलों की उलझन ने काम ठप कर दिया है। आइए, जानते हैं पूरी कहानी…
फाइलों का अंबार, काम अधूरा-करीब 60 ठेकेदारों ने 17 जून को निगम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि एक फाइल पास कराने में कई टेबलों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे काम महीनों तक अटका रहता है। यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि छोटे से काम में भी महीनों लग जाते हैं।
30 करोड़ रुपये का भुगतान अटका-करीब 30 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। निगम का दावा है कि पैसे नहीं हैं, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि पर्याप्त धनराशि भेजी गई है। इस उलझन में ठेकेदारों का धैर्य जवाब दे रहा है। बच्चों के लिए बन रही टॉय ट्रेन तक का काम रुक गया है।
काम पूरा, फिर भी पेनल्टी?-ठेकेदारों का आरोप है कि काम पूरा होने के बाद भी बिल बनाने में जानबूझकर देरी की जाती है। उप अभियंता बिल नहीं बनाते और देरी की सजा ठेकेदारों को पेनल्टी के रूप में भुगतनी पड़ती है। यह दोहरी मार है।
पश्चिम विधानसभा को तरजीह?-ठेकेदार संघ का दावा है कि डेढ़ साल से कई योजनाओं का भुगतान अटका हुआ है। सिर्फ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के ठेकेदारों को ही समय पर भुगतान मिल रहा है, जिससे अन्य क्षेत्रों के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
निगम आयुक्त का आश्वासन-निगम आयुक्त ने भुगतान प्रक्रिया में सुधार का आश्वासन दिया है। उन्होंने सिंगल ऑडिट सिस्टम और टेबलों की संख्या कम करने की बात कही है। लेकिन ठेकेदारों को अब भरोसा दिलाने की ज़रूरत है।
शहर का विकास अटका-इस स्थिति से शहर के विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। ठेकेदारों की मांग है कि निगम में पारदर्शी और सुचारू भुगतान प्रणाली लागू की जाए ताकि विकास कार्य फिर से गति पकड़ सकें।