
सीएम धामी ने खेत में उतरकर किसानों को किया सम्मानित
एक भावुक पल, एक सच्चा सम्मान-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा के नगरा तराई गाँव में पहुँचकर खुद धान की रोपाई की। ये उनके लिए पुराने दिनों की यादें ताज़ा करने जैसा था और किसानों के प्रति उनके सम्मान का एक खूबसूरत उदाहरण। उन्होंने खेतों में उतरकर किसानों के साथ समय बिताया और उनकी मेहनत को सलाम किया।
किसान: हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़-सीएम धामी ने कहा कि किसान सिर्फ़ अन्नदाता नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और जीवनशैली के भी रक्षक हैं। उनके बिना हमारी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो जाती। उन्होंने किसानों के जीवन को त्याग और समर्पण का प्रतीक बताया। उनके इस बयान से साफ़ पता चलता है कि किसानों का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण योगदान है।
हुड़किया बौल: प्रकृति से जुड़ाव और अच्छी फसल की कामना-धान रोपाई के साथ, सीएम धामी ने पारंपरिक ‘हुड़किया बौल’ गाकर भूमिया देव, इंद्र देव और मेघ देवता से अच्छी फसल और भरपूर बारिश की कामना की। यह दृश्य बेहद भावुक और यादगार था, जिसने ग्रामीणों के दिलों को छू लिया। यह दिखाता है कि हमारी परम्पराएँ कितनी गहरी और ज़िंदा हैं।
सांस्कृतिक जुड़ाव: विकास और परंपरा का संगम-मुख्यमंत्री का पारंपरिक लोककला में शामिल होना और गाँव की मिट्टी से जुड़ाव दिखाना लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा। यह दर्शाता है कि विकास सांस्कृतिक मूल्यों के साथ भी संभव है। उनका यह कदम विकास के साथ-साथ हमारी संस्कृति को भी सहेजने का संदेश देता है।
एक संदेश, एक प्रेरणा-सीएम धामी का यह प्रयास सिर्फ़ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि किसानों के प्रति सच्चे सम्मान का प्रतीक है। यह संदेश आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करेगा और किसानों के प्रति सम्मान को और भी गहरा बनाएगा।