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“सट्टा कार्रवाई में पुलिस की साख पर सवाल: सटोरिये का आरोप- पुलिस लेती है हिस्सा”

बिलासपुर:  पिछले दिनों गृहमंत्री ने बिलासपुर में हुई एक बैठक के दौरान जुआ-सट्टा और नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के बाद पुलिस ने तेजी से हरकत में आते हुए दो बार छापेमारी की, जिसमें कुछ सट्टेबाजों को पकड़ा भी गया। हालांकि, हाल की एक कार्रवाई के दौरान सट्टेबाजों को पकड़ने गई पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठने लगे हैं। शहर के बुधवारी इलाके में सट्टेबाज संतोष बजाज को पकड़ने पहुंची पुलिस टीम के सामने एक असहज स्थिति पैदा हो गई, जब संतोष ने पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह नियमित तौर पर तोरवा पुलिस को पैसा देता है। उसने पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया कि वे रोज उससे हिस्सा लेने आते हैं और अकेले उसे पकड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा। उसने पुलिस को चुनौती दी कि वे उस व्यक्ति को पकड़कर दिखाएं जो बुधवारी क्षेत्र का असली “किंग” है। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी वायरल हो चुका है, जिससे पुलिस की छवि पर गहरा धक्का लगा है।

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कुछ दिन पहले ही सख्त निर्देश दिए थे कि शहर में जुआ-सट्टा और नशे के कारोबार पर रोक लगाई जाए। बावजूद इसके, शंकरनगर और बापू नगर जैसे इलाकों में सट्टेबाजी का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। स्थानीय निवासियों ने तोरवा पुलिस से कई बार शिकायत की थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहे। हालात तब और बिगड़ गए जब बुधवारी क्षेत्र में सट्टेबाजी की सूचना पर सिविल लाइन सीएसपी आईपीएस उमेश गुप्ता ने अचानक छापा मारा। इस दौरान सटोरिया संतोष बजाज, जो कि एक पैर से दिव्यांग है, भागने लगा। पुलिस ने उसे पीछा करके पकड़ा, लेकिन संतोष ने आत्महत्या की धमकी दी और रेलवे ट्रैक की ओर भागने की कोशिश की। इसके साथ ही उसने गमछे से अपने गले को कसने की भी कोशिश की। पुलिसकर्मियों ने समय रहते उसे रोका, लेकिन इसके बाद संतोष ने पुलिस के खिलाफ एक के बाद एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे रोज उससे पैसा लेते हैं और असली अपराधी को छोड़ देते हैं।

इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह दिखाया है कि जमीनी स्तर पर अपराध से निपटने में किस तरह की चुनौतियों का सामना किया जा रहा है।

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