थलसेना-वायुसेना इन मिसाइलों को अपने बेड़े में शामिल करेंगी
नई दिल्ली। भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी सिलसिले में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कंधे से दागी जाने वाली स्वदेशी मिसाइल को विकसित किया है। डीआरडीओ अब इन मिसाइलों का परीक्षण करने जा रहा है।रक्षा अधिकारियों ने बताया कि डीआरडीओ लद्दाख या सिक्किम जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में स्वदेशी ट्राइपॉड-फायर्ड शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस मिसाइल का परीक्षण करना चाहता है। परीक्षणों के बाद मिसाइल को सेना को परीक्षण (यूजर ट्रायल्स) के लिए सौंप दिया जाएगा।
परीक्षण के बाद थलसेना और वायुसेना इन मिसाइलों को अपने बेड़े में शामिल करेंगी। डीआरडीओ ने थलसेना और वायुसेना के लिए इन मिसाइलों को विकसित किया है। थलसेना और वायुसेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में तेज गति से चलने वाले ड्रोन, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर जैसे हवाई लक्ष्यों से निपटने के लिए बड़ी संख्या में ऐसी मिसाइलों की आवश्यकता है। यह मिसाइल प्रणाली लक्ष्यों पर निशाना साधने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है।
डीआरडीओ का यह भी कहना है कि यह मिसाइल प्रणाली कम दूरी के साथ साथ लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने में भी सक्षम है। कम दूरी के लक्ष्य भेदने वाली मिसाइल को तैयार कर लिया गया है। इसका नवीनीकरण भी किया जा रहा है। पाकिस्तान और चीन से हवाई खतरों से निपटने के लिए सेना को वैरी शार्ट रेंज एयर डिफेंस (वीएसएचओआरएडी) प्रणाली की जरूरत है।