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इडेन टेस्ट हार के बाद पिच विवाद: अफ्रीका के कप्तान बावुमा बोले भारत की मांग वाली परिस्थितियों में खुद को ढाला

पहला टेस्ट खत्म होते ही पूरा क्रिकेट माहौल अचानक बदल गया है। भारत को इडेन गार्डन्स में मिली 30 रन की हार ने न सिर्फ टीम की बल्लेबाज़ी पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उस पिच पर भी बड़ी बहस छेड़ दी है, जिसे भारत ने खुद तैयार कराने की मांग की थी। दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेंबा बावुमा के बयान ने इस चर्चा को और तेज कर दिया है।

मौजूद जानकारी के अनुसार, मैच के बाद बावुमा ने साफ कहा कि उनकी टीम ने उन परिस्थितियों के हिसाब से खुद को बेहतर ढंग से ढाला, जो असल में भारत ने ही तैयार करवाने का अनुरोध किया था। बता दें कि पिच शुरू से ही काफी सूखी थी और पहले दिन से स्पिनरों की मदद कर रही थी। हालांकि, पिच पर असमान उछाल और अचानक नीचे रहने वाली गेंदों ने बल्लेबाज़ों के लिए खेलना और मुश्किल बना दिया।

बावुमा की 55 रन की शांत, धैर्यपूर्ण पारी इस मुकाबले का असली फर्क बनी। जहां भारत के ज्यादातर बल्लेबाज़ तेजी से आउट होते गए, वहीं बावुमा ने मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हुए छोटे-छोटे रनों को भी अहमियत दी। गौरतलब है कि भारत की चौथी पारी में सिर्फ 93 रन पर ढह जाना इस मैच का सबसे बड़ा मोड़ रहा है।

भारत को उम्मीद थी कि रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव इस पिच का फायदा उठाएंगे, लेकिन कहानी उलटी हो गई। दक्षिण अफ्रीका के स्पिनर साइमन हार्मर ने आठ विकेट लेकर पूरे मैच की दिशा बदल दी। भारत की बल्लेबाजी 35 ओवर भी नहीं टिक सकी और यहीं से आलोचना शुरू हो गई कि क्या जानबूझकर इस तरह की “ज्यादा टर्न लेने वाली” पिच तैयार कराना टीम के लिए नुकसानदायक साबित हुआ है।

पिच को लेकर सवालों के बीच भारतीय कोच गौतम गंभीर और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष सौरव गांगुली दोनों ने पुष्टि की है कि यह पिच भारत की मांग के अनुसार ही तैयार की गई थी। उनका कहना है कि टीम ने स्पिन-अनुकूल परिस्थितियों की मांग की थी और क्यूरेटर ने वही किया है।

बावुमा ने हालांकि इस बहस को शांत रखने की कोशिश की और कहा कि भारतीय परिस्थितियों में ऐसा होना सामान्य है। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार स्पिनरों को फायदा मिलने के साथ-साथ गेंद असमान रूप से भी व्यवहार करती है, और बल्लेबाज़ों को इसके अनुसार अपने खेल को ढालना पड़ता है।

मौजूदा समय में दक्षिण अफ्रीका 1-0 से आगे है और भारत के पास वापसी का दबाव साफ दिख रहा है। दूसरा टेस्ट 22 नवंबर से गुवाहाटी में खेला जाएगा और टीम के सामने बल्लेबाज़ी सुधारने के साथ-साथ सही रणनीति बनाने की चुनौती भी है। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत अब पिच को लेकर अलग रास्ता अपनाता है या इसी फॉर्मूले पर कायम रहता है।

फिलहाल टीम के सामने सबसे बड़ा सवाल अपनी बल्लेबाज़ी की कमजोरियों को दूर करना और तेज वापसी करना है, जिसे देखते हुए अगला मैच बेहद अहम होने वाला है। सभी खिलाड़ी और कोचिंग स्टाफ तैयारियों पर पूरी फोकस के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसी कारण आने वाला मुकाबला भारत की मानसिक और तकनीकी मजबूती की असली परीक्षा साबित होने वाला है। टीम प्रबंधन उम्मीद कर रहा है कि हाल की गलतियों से सीख लेकर खिलाड़ी ज्यादा जिम्मेदारी के साथ मैदान पर उतरेंगे, ताकि श्रृंखला में वापसी का मौका मिल सके हैं।
गंभीर को गवास्कर की सीधी नसीहत

भारत की हार के बाद महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने ऐसा बयान दिया जिसने विवाद को नई दिशा दे दी। गवास्कर ने साफ शब्दों में कहा कि कोच, टीम मैनेजमेंट या खिलाड़ियों को क्यूरेटर पर दबाव नहीं डालना चाहिए। गवास्कर बोले, ‘क्यूरेटर को अकेला छोड़ देना चाहिए। वही अपना काम सबसे बेहतर जानता है। जब आप उसे पिच ऐसी-वैसी बनाने को कहते हैं, तो चीजें उलटी पड़ जाती हैं।’ आईपीएल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां कोई भी क्यूरेटर पर दबाव नहीं डाल सकता, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप से नतीजे बिगड़ते हैं। उनके बयान को सीधे तौर पर गंभीर की रणनीति और मांगों की ओर इशारा माना जा रहा है।

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