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CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: दिल्ली शराब घोटाले में कहां फंस गई केजरीवाल सरकार?

दिल्ली शराब घोटाला: सरकार को 2002 करोड़ का झटका, सीएजी रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार, 25 फरवरी को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सीएजी (कैग) की रिपोर्ट पेश की, जिसमें खुलासा हुआ कि दिल्ली सरकार की शराब नीति से जुड़े फैसलों के कारण 2002 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि गलत नीतियों और फैसलों की वजह से सरकार को तगड़ा झटका लगा।

कैसे हुआ 2002 करोड़ रुपये का नुकसान?

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, शराब नीति में की गई गड़बड़ियों के चलते सरकार के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ। इसमें कुछ मुख्य कारण ये रहे—

🔹 प्रतिबंधित इलाकों में शराब की दुकानें खोलने से – 941 करोड़ 53 लाख रुपये का घाटा।
🔹 लाइसेंस सरेंडर के बाद दोबारा लाइसेंस जारी करने में देरी से – 890 करोड़ 15 लाख रुपये का नुकसान।
🔹 कोविड के दौरान नियमों के खिलाफ जाकर छूट देने से – 144 करोड़ रुपये का घाटा।
🔹 लोकल लाइसेंस धारकों से सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से न लेने से – 27 करोड़ रुपये की चपत।

शराब नीति में हुई बड़ी गड़बड़ियां

🔸 शराब कंपनियों को थोक में बिक्री के लिए गैर-कानूनी तरीके से लाइसेंस दिए गए, जो दिल्ली एक्साइज रूल 2010 का उल्लंघन था।
🔸 शराब विक्रेताओं का प्रॉफिट मार्जिन 7% बढ़ा दिया गया, लेकिन इसकी आड़ में गुणवत्ता जांच के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
🔸 शराब की क्वालिटी टेस्टिंग के लिए कोई लैब इस्तेमाल नहीं की गई, जबकि दावा किया गया कि गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त खर्च किया गया।
🔸 विदेशी शराब की 51% टेस्ट रिपोर्ट या तो एक साल से ज्यादा पुरानी थी या उनमें तारीख ही दर्ज नहीं थी।
🔸 IMFL (भारतीय निर्मित विदेशी शराब) के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता नहीं थी, और सिर्फ कुछ चुनिंदा ब्रांड्स को ही बेचने की अनुमति दी गई।
🔸 पहले एक व्यक्ति को सिर्फ 2 शराब की दुकानें खोलने की इजाजत थी, लेकिन नई नीति में यह सीमा बढ़ाकर 54 कर दी गई।
🔸 सरकार ने प्रतिबंधित इलाकों में भी शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी, जिससे अवैध बिक्री और कालाबाजारी को बढ़ावा मिला।
🔸 शराब की तस्करी पर कोई रोक-टोक नहीं लगी, जिससे ब्लैक मार्केटिंग चरम पर पहुंच गई।

बीजेपी को क्या फायदा?

इस रिपोर्ट के आने के बाद दिल्ली की सियासत में हलचल मच गई है। इस घोटाले का असर सिर्फ आम आदमी पार्टी की छवि पर नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।

🔹 अप्रैल में दिल्ली में मेयर चुनाव हैं, और बीजेपी इस रिपोर्ट को आधार बनाकर आम आदमी पार्टी पर हमले तेज कर सकती है।
🔹 बीजेपी का मकसद 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करना है, और इस घोटाले को मुद्दा बनाकर वह आम आदमी पार्टी को कमजोर करना चाहती है।
🔹 आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता पहले ही इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन का नाम शामिल है।

क्या आम आदमी पार्टी की सरकार बच पाएगी?

शराब घोटाले पर सीएजी रिपोर्ट आने के बाद दिल्ली में आप सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस घोटाले का असर सिर्फ आरोपों तक सीमित रहता है या फिर आम आदमी पार्टी को आने वाले चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

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