मध्यप्रदेश
Trending

सौरभ शर्मा के कब्जे से मिले सोने और कैश का असली मालिक कौन?

भोपाल : भोपाल में काली कमाई के आरोप में तीन प्रमुख जांच एजेंसियों द्वारा तलाश किए जा रहे सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी के बाद उन नेताओं और अधिकारियों के बीच खलबली मच गई है, जिनके नाम लोकायुक्त के छापे में मिले दस्तावेजों और डायरी में पाए गए हैं। इस मामले का सबसे बड़ा खुलासा 54 किलो सोने और 10 करोड़ रुपये नकद का है, जिसे आयकर विभाग ने जब्त किया था। हालांकि, 40 दिन बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह सोना और नकदी किसकी थी। सूत्रों का कहना है कि परिवहन नाकों से मिलने वाली अवैध कमाई को सोने में बदलकर ठिकाने लगाया जा रहा था। एक कार से एक डायरी भी मिली थी, जिसमें करोड़ों रुपये के अवैध लेन-देन का जिक्र था। भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में लोकायुक्त पुलिस ने 20 साल बाद पहली बार किसी आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है। सौरभ के करीबी सहयोगी चेतन गौर और शरद जायसवाल को भी गिरफ्तार किया गया है, और उनसे भी पूछताछ की जा रही है। पहले यह सोचा जा रहा था कि लोकायुक्त पुलिस केवल दो दिन के रिमांड की मांग करेगी, लेकिन न्यायालय के आदेश पर सौरभ और चेतन को चार फरवरी तक हिरासत में रखा गया है। शरद को बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा और वहां रिमांड की मांग की जाएगी।

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने सौरभ के पास से सोना और नकदी जब्त की थी। इस मामले की हाई प्रोफाइल प्रकृति को देखते हुए पुलिस को सौरभ के पूरे नेटवर्क का पता लगाना है। लोकायुक्त पुलिस एक से दो महीने में इस मामले में चालान पेश करने की योजना बना रही है। 18 दिसंबर को भोपाल के ई-7 अरेरा कॉलोनी में छापे के बाद आयकर विभाग की टीम ने मुखबिर से मिली जानकारी पर सोना और नकदी जब्त की थी। इसके अगले दिन, मेंडोरी गांव में एक प्लॉट में खड़ी कार से भी सोना और नकदी जब्त की गई थी, जो चेतन गौर के नाम पर थी। फिलहाल, लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा, चेतन गौर और शरद जायसवाल को आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपित किया है। इनसे पूछताछ के बाद और भी लोगों को आरोपित किया जा सकता है, और इनमें सौरभ की पत्नी दिव्या शर्मा का नाम भी आ सकता है। चेतन गौर, जो सौरभ का करीबी दोस्त है, से छापे में सौरभ के नाम से संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे। इनमें मछली पालन का ठेका, पेट्रोल पंप और अन्य संपत्तियां शामिल थीं। पूछताछ में चेतन ने बताया कि सौरभ ने उसके नाम पर ये संपत्तियां बनाई थीं और उसे इसकी जानकारी नहीं थी। शरद जायसवाल भी सौरभ का करीबी सहयोगी है। शरद के नाम से संपत्तियों के दस्तावेज छापे में मिले थे। सौरभ ने काली कमाई को छिपाने के लिए एक कंपनी बनाई थी, जिसका नाम ‘अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ था, और शरद उस कंपनी का डायरेक्टर था। सूत्रों का कहना है कि शरद का नाम शाहपुरा में बन रहे जयपुरिया स्कूल की समिति में भी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
गुजिया का इतिहास और होली से इसका कनेक्शन भारत ने तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी जीती: देशभर में जश्न का माहौल