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श्वेत क्रांति ने बदली किसानों और महिलाओं की तकदीर

नई दिल्ली। किसानों के विकास के लिए हरित क्रांति के साथ श्वेत क्रांति का भी अहम रोल रहा है। जहां हरित क्रांति की शुरुआत फसल उत्पादन में आत्‍मनिर्भर होने के लिए किया गया था। वहीं, श्वेत क्रांति का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ दूध उत्पादन में वृद्धि करना था। दूध के उत्पादन में वृद्धि होने से जहां आम जनता को कम कीमत में दूध मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ किसानों को इससे फायदा होगा। आज दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश भारत है। यह लक्ष्य श्वेत क्रांति की वजह से ही हासिल हुआ है। सबसे बड़े दूध उत्पादक देश के साथ ही खाद्य सुरक्षा में भी सुधार हुआ और दूध से बने उत्पादों की उपलब्धता-गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई।
1970 के दशक में शुरू हुई क्रांति
श्वेत क्रांति को “दुग्ध क्रांति” भी कहा जाता है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उनकी तकदीर बदलने में इस क्रांति ने अहम भूमिका निभाई है। 1970 के दशक में इस क्रांति की शुरुआत हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना था, ताकि भारत को दूध के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इस क्रांति ने दूध के उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आय और जीवनस्तर में भी सुधार किया।
डॉक्टर वर्गीज कुरियन ने श्वेत क्रांति की शुरुआत की थी। इन्हें ‘श्वेत क्रांति का जनक’ भी कहा जाता है। इस क्रांति का महत्वपूर्ण और बड़ा हिस्सा ऑपरेशन फ्लड भी है। इस क्रांति में सबसे पहले दूध उत्पादन में तेजी लाने के लिए सहकारी समितियों का गठन किया गया। इसमें छोटे किसानों और दूध उत्पादकों को स्थिर बाजार के साथ उचित कीमत मिली।
पहले किसानों को कम कीमत पर दूध बेचना पड़ता था, लेकिन सहकारी समितियों के जरिये वह बेहतर मूल्य पर दूध बेच पा रहे हैं। एक निवेशक के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो श्वेत क्रांति ने ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश के नए अवसर खोले हैं। सहकारी समितियों और दुग्ध उद्योग में निवेश करने से न केवल अच्छा रिटर्न प्राप्त हो रहा है, बल्कि इसका ग्रामीण विकास में भी योगदान मिल रहा है। आज भी दुग्ध उद्योग में निवेश करना एक सुरक्षित और लाभकारी विकल्प माना जाता है, खासकर जब हम इसे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और किसानों की समृद्धि के संदर्भ में देखते हैं।
सिद्धार्थ मौर्य, फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, विभावंगल अनुकूलकारा प्राइवेट लिमिटेड
आर्थिक रूप से सशक्त हुए किसान
श्वेत क्रांति ने किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। इस क्रांति के बाद किसान केवल खेती पर निर्भर नहीं हैं। कई बार मौसम और अन्य कारणों की वजह से फसल उत्पादन अच्छा नहीं होता है। ऐसी स्थिति में किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता था। इस स्थिति में किसानों की नियमित आय का स्रोत दूध उत्पादन बना। इसने किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा।
श्वेत क्रांति में महिलाओं की भूमिका
श्वेत क्रांति ने किसानों के साथ महिलाओं के लिए भी अहम भूमिका निभाई है। दूध उत्पादन और वितरण के लिए महिलाओं को रोजगार का अवसर मिला और वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनीं। आत्मनिर्भरता के साथ महिलाओं को समाज में नई पहचान मिली और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा।

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