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टमाटर की मार: खेतों में सड़ रही फसल, ग्राहक महंगे दाम पर खरीदने को मजबूर!

मालवा-निमाड़: टमाटर के दाम धड़ाम, किसानों को नहीं मिल रही लागत

कुछ दिनों पहले तक आसमान छू रहे टमाटर के दाम अचानक गिर गए हैं। मालवा-निमाड़ के कई जिलों में किसानों को लागत तक नहीं मिल पा रही। धार और बड़वानी में टमाटर के दाम गिरकर सिर्फ 2 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं।

किसानों को भारी नुकसान

किसान परेशान हैं क्योंकि अब ना तो उत्पादन लागत निकल रही है और ना ही तोड़ाई व ढुलाई का खर्च। दामों में इस भारी गिरावट की वजह बंपर फसल बताई जा रही है। उधर, बाजार में यही टमाटर आम लोगों को 10 से 20 रुपये किलो में बेचा जा रहा है।

टमाटर उत्पादन के बड़े केंद्र

झाबुआ, धार, रतलाम, शाजापुर, मंदसौर, खंडवा, खरगोन और बड़वानी टमाटर उत्पादन के प्रमुख इलाके हैं। अकेले धार जिले में करीब 350 हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है, जिसमें बदनावर क्षेत्र में ही 100 हेक्टेयर में फसल उगाई जाती है। यहां एक बीघा में 800 से 1000 क्रेट तक टमाटर पैदा होता है।

100 रुपये किलो तक पहुंचे थे दाम

कुछ समय पहले टमाटर के दाम 100 रुपये किलो तक पहुंच गए थे, जिससे किसानों ने इसकी खेती बढ़ा दी। इस बार मौसम भी अनुकूल रहा—ना मावठा गिरा, ना पाला पड़ा, जिससे पैदावार ज्यादा हुई। इसी बीच महाराष्ट्र, गुजरात और बेंगलुरु से भी बड़ी मात्रा में टमाटर आने लगा, जिससे बाजार में सप्लाई बढ़ गई और दाम गिर गए।

खेतों में सड़ रहा टमाटर

जनवरी में बड़वानी के किसानों को दाम नहीं मिले तो उन्होंने टमाटर या तो फेंक दिया या मवेशियों को खिला दिया। मार्च में भी हालात वैसे ही बने हुए हैं। थोक में टमाटर की कीमत 2 रुपये किलो तक आ चुकी है, जिससे किसान अपनी फसल खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ रहे हैं या जानवरों को खिला रहे हैं।

इंदौर और अन्य जिलों में टमाटर के दाम

इंदौर की चोइथराम मंडी में टमाटर थोक में 5 से 10 रुपये और खेरची में 10 से 20 रुपये किलो बिक रहा है। खरगोन जिले में थोक दाम 6 से 7 रुपये किलो हैं, जबकि खंडवा जिले में यह 5 से 7 रुपये किलो के बीच है।

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