टोक्यो में टूटा दिल, अब पेरिस में गोल्ड दिलाएगा मनु का मैजिक
नई दिल्ली। भारत के लिए पिछले 2 ओलंपिक गेम्स शूटिंग के लिहाज से सबसे खराब साबित हुए, जहां भारतीय निशानेबाज गेम्स से पहले बड़े दावेदारों के रूप में उतरे थे लेकिन मुकाबला शुरू होने के बाद वो जीत के करीब भी नहीं पहुंच सके थे और दोनों बार इस खेल में भारत की झोली खाली ही रही. इस बार स्थिति बदलने की उम्मीद है.
2004 में एथेंस, 2008 में बीजिंग और 2012 में लंदन. लगातार 3 ओलंपिक गेम्स में भारत के लिए मेडल का झंडा बुलंद करने वालों में सबसे ऊपर थे निशानेबाज. राज्यवर्धन राठौड़ ने एथेंस ओलंपिक में सिल्वर मेडल के साथ जो सिलसिला शुरू किया था, वो 2012 में गगन नारंग (ब्रॉन्ज) और रवि कुमार (सिल्वर) के मेडल्स के साथ चलता रहा. इन सबके बीच 2008 में अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था. यानी शूटर्स लगातार भारत की सफलता की वजह रहे लेकिन पिछले लगातार 2 ओलंपिक में कोई भी शूटर अपने टार्गेट को हिट नहीं कर सका है, जिसने सबसे ज्यादा चौंकाया है. क्या पेरिस में भी यही हाल होगा? इसका दारोमदार काफी हद तक होगा 22 साल की मनु पर. बिंद्रा, राठौड़, नारंग और रवि कुमार जैसे दिग्गजों ने जब भारत को ओलंपिक में मेडल दिलाए, तो इसने नए दौर के निशानेबाजों को जन्म दिया.
देश में अचानक युवा निशानेबाजों की एक कतार खड़ी हो गई. इसी कतार में सबसे आगे जो कुछ निशानेबाज रहे, उसमें मनु भाकर सबसे चमकीले सितारों में से थीं. कुश्ती पहलवानों और मुक्केबाजों के लिए मशहूर हरियाणा से शूटिंग में भी कुछ दमदार प्रतिभाएं निकलकर आई हैं और उनमें सबसे नई और चमकदार प्रतिभा साबित हुई हैं मनु भाकर, जिनका जन्म झज्जर जिले में हुआ था. अब हरियाणा में जैसा चलन रहा है, उसी तरह मनु ने भी शुरुआती दिनों में कई खेलों में हिस्सा लिया लेकिन फिर पिस्टल शूटिंग से लगाव हो गया.
सीनियर स्तर पर चमक बिखेरने से पहले हर खिलाड़ी को जूनियर स्तर पर अपनी पहचान बनानी होती है. मनु की कहानी भी अलग नहीं है और उन्होंने जूनियर एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर पहली बड़ी सफलता हासिल की. इसके बाद उनका जलवा दिखा नेशनल गेम्स 2017 में, जहां उन्होंने हीना सिद्धू जैसी दिग्गज शूटर को हराया और कुल 9 गोल्ड मेडल अपने नाम किए।
यही वो वक्त था जब मनु के अलावा शूटिंग में सौरभ चौधरी, मेहुली घोष, ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर जैसे युवा खिलाड़ी सामने आ रहे थे. इनमें मनु ने सबसे तेजी से अपनी पहचान बनाई और 2018 में ढ्ढस्स्स्न वल्र्ड कप में धमाकेदार प्रदर्शन किया. यहां मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड इवेंट में गोल्ड मेडल जीत लिए.
टोक्यो ओलंपिक में टूटा दिल
2018 में ही उन्होंने यूथ ओलंपिक में भी 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड जीता था. फिर कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में भी मनु ने गोल्ड जीतकर तहलका मचा दिया. सफलता का ये सिलसिला 2019 में भी जारी रहा, जहां उन्होंने सौरभ चौधरी के साथ मिलकर लगातार 4 वल्र्ड कप में 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट के गोल्ड जीते. ऐसे प्रदर्शन के बाद टोक्यो ओलंपिक में मनु से दमदार प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन 2020 में कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया पर जो ब्रेक लगा, उसका असर शायद मनु और बाकी शूटर्स पर भी दिखा और टोक्यो में भारतीय शूटर्स पूरी तरह से नाकाम रहे. मनु के लिए ज्यादा निराशाजनक इसलिए रहा क्योंकि 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में अचानक उनकी पिस्टल खराब हो गई थी. इसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा और वो फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं.
2 गोल्ड जीतकर करेंगे हिसाब बराबर
ये वो वक्त था जब शूटिंग रेंज की नाकामी के अलावा भी मनु अलग-अलग वजहों से विवादों में रहीं. उनकी फॉर्म भी अच्छी नहीं रही थी और ऐसे में पेरिस ओलंपिक को लेकर कई आशंकाएं जताई जा रही थीं. फिर भी पिछले एक साल में मनु ने दमदार वापसी करते हुए पेरिस के लिए क्वालिफाई किया. 2023 में उन्होंने बाकू में वल्र्ड चैंपियनशिप में 25 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड जीता था. इसी साल उन्होंने एशियन गेम्स में विमेंस टीम इवेंट में 25 मीटर का गोल्ड जीता था. अब मनु के सामने टोक्यो का दर्द दूर करने का मौका है. पेरिस में वो 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में भारत की दावेदारी पेश करेंगी. यहां देश की उम्मीदें उन पर टिकी होंगी और खुद मनु अपना ‘मैजिकÓ चलाने की कोशिश करेंगी.
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