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पानी पीने का असली तरीका: खड़े होकर या बैठकर, सच क्या है?

पानी पीना तो हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा जरिया है, लेकिन सवाल ये है कि इसे कैसे पीया जाए—बैठकर या खड़े होकर? ये बात अक्सर लोग आपस में गप्पें मारते वक्त उठाते हैं। खासकर ये सुना जाता है कि खड़े होकर पानी पीने से घुटनों पर बुरा असर पड़ता है। क्या सच में इसके पीछे कोई साइंस है, या बस पुरानी बातें हैं? हमारे घरों में बरसों से यही कहा जाता है कि पानी बैठकर पीना चाहिए। खड़े होकर पीने को सेहत के लिए गलत माना जाता है और लोग इसे घुटनों के दर्द या दूसरी तकलीफों से जोड़ते हैं। लेकिन क्या इसके पीछे कोई पक्की वजह है, या सिर्फ कहावत है? चलो, इसे अपनी भाषा में आराम से समझते हैं।

शरीर पर क्या फर्क पड़ता है – खड़े होकर पानी पीने से हमारे शरीर के अंदर कुछ अलग होता है। हमारा शरीर और पेट का ढांचा ऐसा बना है कि बैठकर पीने से सब कुछ सही ढंग से चलता है। खड़े होकर पीने की कई बातें समझ आती हैं, जैसे पानी तेजी से गले से नीचे चला जाता है। ये पेट में सीधे पहुंचकर अंदर की चीजों को झटका दे सकता है। अगर ऐसा बार-बार करो, तो ये झटका घुटनों और हड्डियों पर बोझ डाल सकता है, जो बाद में जोड़ों की परेशानी बन सकता है। दूसरी तरफ, बैठकर पीने से पानी धीरे-धीरे पेट में जाता है और पेट को अपना काम करने में मदद मिलती है। खड़े होकर पीने से खाना पचाने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है, जिससे गैस या जलन जैसी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। खड़े होकर पीने से शरीर पानी को ठीक से सोख नहीं पाता, जो जोड़ों और घुटनों में सूजन ला सकता है।

सिर्फ घुटनों तक नहीं रुकता – ये कहना कि खड़े होकर पानी पीने से सिर्फ घुटने खराब होते हैं, पूरा सच नहीं है। लेकिन ये आदत कुछ सेहत की दिक्कतें तो ला ही सकती है। मसलन, खड़े होकर पीने से किडनी का साफ करने का तरीका ठीक से काम नहीं कर पाता। बार-बार ऐसा करने से आगे चलकर जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है। पानी जब तेजी से नीचे जाता है, तो नसों पर भी कुछ असर पड़ सकता है। अब आयुर्वेद की बात करें तो वो भी कहता है कि पानी बैठकर पीना चाहिए। इसके मुताबिक, पानी पीते वक्त शरीर को आराम में रहना चाहिए, ताकि वो उसे अच्छे से हजम कर सके। खड़े होकर पीने से शरीर में ‘वात’ बढ़ता है, जो जोड़ों की तकलीफ का कारण बन सकता है।

पानी पीने का सही ढंग – बैठकर पीना: बैठकर पानी पीने से शरीर टेंशन से दूर रहता है और अंदर की चीजें सही तरीके से चलती हैं। ये खाना पचाने में सहारा देता है और शरीर को राहत रखता है।
आराम से पीना: पानी को एकदम से गले में उड़ेलने की बजाय छोटे-छोटे घूंट लेना चाहिए। इससे शरीर उसे अच्छे से पकड़ पाता है।
जितना चाहिए उतना पीना: न ज्यादा, न कम—पानी उतना ही पीना चाहिए जितना शरीर को जरूरत हो। गलत मात्रा से भी सेहत पर असर पड़ सकता है।

साइंस की राय क्या है
कुछ साइंस की पढ़ाई में पता चला है कि खड़े होकर पानी पीने से शरीर में ‘हाइड्रोस्टैटिक प्रेशर’ बढ़ जाता है, जिससे अंदर की चीजों पर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन अभी इस बात को पूरी तरह समझने के लिए और काम बाकी है।

तो बात ये है कि खड़े होकर पानी पीना कोई बड़ा गुनाह तो नहीं, लेकिन बैठकर पीने से शरीर को ज्यादा आराम मिलता है। हमारे बड़े-बुजुर्ग जो कहते आए हैं, उसमें थोड़ी सच्चाई तो छुपी है। अब ये आपके ऊपर है—आराम से बैठकर पीना पसंद करोगे या जल्दी में खड़े होकर निपटा लोगे!

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