डॉलर के सामने कमजोर हुआ रुपया: अमेरिकी नीतियों और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से गिरावट

रुपया लुढ़का, डॉलर के मुकाबले 17 पैसे गिरा-सोमवार को शुरुआत ही भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले 17 पैसे की गिरावट देखी। रुपया 85.97 पर आ गया, जो शुक्रवार के 85.80 से कम है। डॉलर के मज़बूत होने और विदेशी निवेशकों के शेयर बेचने से ये गिरावट और बढ़ी है।
अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता-विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के व्यापार टैरिफ को लेकर अनिश्चितता भी रुपये पर दबाव डाल रही है। हालांकि, अभी भारत टैरिफ से बाहर है, लेकिन इस बारे में बातचीत जारी है, जिससे बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। ये अनिश्चितता वैश्विक बाजारों को भी प्रभावित कर रही है।
डॉलर इंडेक्स में तेज़ी, कच्चे तेल में गिरावट-डॉलर इंडेक्स, जो डॉलर की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले उसकी ताकत दिखाता है, 0.08% बढ़कर 97.93 पर पहुँच गया। इसके साथ ही, ब्रेंट क्रूड में 0.19% की मामूली गिरावट आई है, जिससे ये 70.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। कच्चे तेल की कीमतों में ये कमी भी बाजार पर असर डाल सकती है।
शेयर बाजार में भी गिरावट-घरेलू शेयर बाजार ने भी कमज़ोर शुरुआत की। सेंसेक्स 295.37 अंक गिरकर 82,205.10 पर आ गया, जबकि निफ्टी 71.4 अंक गिरकर 25,078.45 पर पहुँच गया। निवेशकों को आगे और गिरावट की चिंता सता रही है।
एफआईआई की बिकवाली का असर-विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 5,104.22 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इससे रुपये में गिरावट और बाजार में दबाव दोनों बढ़े हैं। लगातार बिकवाली से बाजार का माहौल कमज़ोर हुआ है।
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी-आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 4 जुलाई को ख़त्म हुए हफ़्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 3.049 अरब डॉलर घटकर 699.736 अरब डॉलर रह गया। वैश्विक अनिश्चितता के बीच ये गिरावट रुपये के लिए चिंता का विषय है।
रुपये का अनुमानित दायरा-फिनरेक्स ट्रेजरी एडवायजर्स के अनिल कुमार भंसाली का मानना है कि रुपये की ट्रेडिंग रेंज 85.50 से 86.00 के बीच रह सकती है। जब तक अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर स्पष्टता नहीं आती, तब तक रुपये पर दबाव बना रहेगा।



