
आरबीआई की नीति: रुपये की नाचती चाल-आरबीआई की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले रुपये की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। निवेशक आरबीआई के फैसले का इंतज़ार कर रहे थे, जिससे बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल था।
शुरुआती गिरावट, फिर वापसी-सुबह रुपया 12 पैसे गिरकर 85.91 पर खुला, लेकिन जल्द ही यह 85.77 तक पहुँच गया। गुरुवार को रुपया 8 पैसे मजबूत होकर 85.79 पर बंद हुआ था। लेकिन असली खेल तो आरबीआई के फैसले के बाद ही शुरू होना था।
विदेशी निवेशकों की अनिश्चितता-विदेशी निवेशकों की अनिश्चितता के कारण रुपये में कमजोरी बनी हुई थी। अगर आरबीआई ब्याज दरों में कमी करता है, तो रुपये पर और दबाव पड़ सकता है। कम ब्याज दर से निवेशकों को कम रिटर्न की उम्मीद होती है, जिससे रुपये की मांग कम हो जाती है।
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद-महंगाई पर काबू पाए जाने के बाद, बाजार को उम्मीद है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इससे बाजार में नकदी बढ़ेगी, लेकिन रुपये की स्थिति नाजुक हो सकती है। निवेशकों का मानना है कि दरों में कटौती होने पर रुपया 85.50 से 86.25 के बीच रह सकता है।
डॉलर और कच्चे तेल का प्रभाव-डॉलर इंडेक्स में मामूली बढ़ोतरी हुई (0.03%), और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट (0.26%) आई। इससे भारत को थोड़ी राहत मिली, लेकिन रुपये को ज्यादा फायदा नहीं हुआ।
शेयर बाजार में भी गिरावट-घरेलू शेयर बाजार में भी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 227 अंक और निफ्टी 65 अंक गिरे। विदेशी निवेशकों ने 208.47 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे बाजार का माहौल और कमजोर हुआ। नीतिगत स्पष्टता आने तक बाजार इसी तरह सतर्क बना रहेगा।