
राहुल गांधी का ‘Gen Z’ पर बयान: एमपी की सियासत में गरमाई बहस!-कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में ‘Gen Z’ यानी युवा पीढ़ी को लेकर एक पोस्ट की, जिसने मध्य प्रदेश की राजनीति में मानो भूचाल ला दिया है। इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने तीखे तेवर दिखाए। उनका कहना है कि राहुल गांधी देश के लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं। रामेश्वर शर्मा ने तो इसे महात्मा गांधी के सपनों के विरुद्ध बताया और यहां तक पूछ डाला कि क्या पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी भी ऐसा ही लोकतंत्र चाहते थे, जहाँ हिंसा और सत्ता की लालसा को बढ़ावा मिले। यह बयानबाजी दिखाती है कि राहुल गांधी के एक छोटे से पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में कितनी बड़ी हलचल मचा दी है।
भाजपा का राहुल पर तीखा वार: ‘लोकतंत्र को खतरा’-भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने राहुल गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें ‘सत्ता का भिखारी’ तक कह डाला। उनका आरोप है कि राहुल गांधी देश और अपने घर को आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। शर्मा के मुताबिक, राहुल गांधी विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रहे हैं और माओवादियों, आतंकवादियों और पाकिस्तान से प्रेरणा लेकर देश में साजिशें रच रहे हैं। उन्होंने तो न्यायपालिका से भी गुजारिश की कि राहुल गांधी की इन गतिविधियों की गहन जांच की जाए। भाजपा का यह भी कहना है कि गांधी परिवार को अपने नेता को संभालना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए। यह आरोप-प्रत्यारोप दिखाता है कि दोनों दल एक-दूसरे पर किस तरह के वार कर रहे हैं।
कांग्रेस का पलटवार: ‘युवाओं को जोड़ना है’-वहीं, कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि राहुल का मकसद बिल्कुल साफ है। उनका कहना है कि राहुल गांधी युवाओं को लोकतंत्र में सक्रिय रूप से भाग लेने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी युवा ‘Gen Z’ को उपद्रवी नहीं माना जा सकता और भाजपा बेवजह इस मुद्दे पर विवाद खड़ा कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के युवाओं को लोकतंत्र में सक्रिय योगदान देना चाहिए और उनके इस सक्रियता में कुछ भी गलत नहीं है। यह कांग्रेस का रुख दिखाता है कि वे युवाओं की भागीदारी को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं।
युवा और लोकतंत्र: दो अलग-अलग नज़रिया-राहुल गांधी के इस बयान और उस पर हुई राजनीतिक प्रतिक्रियाओं ने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है: आखिर युवा राजनीति और लोकतंत्र में कितना सक्रिय होना चाहिए? भाजपा इसे एक खतरे के रूप में देख रही है, जबकि कांग्रेस का मानना है कि युवाओं को आगे आकर लोकतंत्र में अपना योगदान देना चाहिए। यह पूरी बहस यह भी दर्शाती है कि ‘जनरेशन Z’ की राजनीतिक भागीदारी दोनों ही प्रमुख दलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। यह सियासी टकराव निश्चित रूप से आने वाले चुनावों और युवा मतदाताओं की सोच को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे राजनीतिक माहौल और भी गरमा गया है।



