
सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद: क्या है मामला?-पंजाब और हरियाणा के बीच पानी बंटवारे को लेकर लंबे समय से चल रहा सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। दिल्ली में हाल ही में पांचवें दौर की बातचीत हुई, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि शामिल हुए। क्या इस बैठक से विवाद का हल निकलेगा? आइए जानते हैं इस विवाद की जड़ें और ताज़ा स्थिति।
पांचवां दौर: क्या मिली सहमति?-केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने सकारात्मक रुख अपनाया। पंजाब के मुख्यमंत्री ने इसे विरासत में मिली समस्या बताया, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि बातचीत से समाधान की उम्मीद बढ़ी है। हालांकि, अभी तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है और आगे की राह अभी भी चुनौतीपूर्ण है।
पानी का बंटवारा: विवाद की जड़-यह विवाद 1981 के एक समझौते से शुरू हुआ, जिसमें 214 किलोमीटर लंबी SYL नहर बनाने का प्रस्ताव था। इसमें से 122 किलोमीटर पंजाब और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनना था। हरियाणा ने अपना हिस्सा पूरा कर लिया, लेकिन पंजाब ने 1982 में काम रोक दिया। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन पंजाब ने 2004 में 1981 के समझौते को ही रद्द कर दिया। इससे यह विवाद और जटिल हो गया।
आगे का रास्ता: क्या है समाधान?-यह विवाद सिर्फ़ पानी बंटवारे का नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों से भी जुड़ा है। पंजाब में किसानों की चिंताएँ और पानी के सीमित संसाधन इस विवाद को और पेचीदा बनाते हैं। इसलिए, समाधान के लिए दोनों राज्यों को आपसी सहमति और समझदारी से काम लेने की ज़रूरत है। केंद्र सरकार की भूमिका भी बहुत अहम है, उसे दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता करके एक स्थायी समाधान निकालने में मदद करनी होगी। यह विवाद केवल कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि दोनों राज्यों के भविष्य से जुड़ा हुआ एक गंभीर मुद्दा है, जिसका निष्पक्ष और तार्किक समाधान निकालना बेहद ज़रूरी है।




