
PHDCCI ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के विकास आयुक्त कार्यालय के सहयोग से राष्ट्रीय आईपी यात्रा कार्यक्रम (2 दिवसीय कार्यशाला) का आयोजन किया PHDCCI ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के विकास आयुक्त कार्यालय के सहयोग से होटल बैबिलॉन इंटरनेशनल, रायपुर, छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आईपी यात्रा कार्यक्रम (2 दिवसीय कार्यशाला) का आयोजन किया। बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नवाचारों को पहचानने और सुरक्षित करने में सहायता प्रदान करते हैं और साथ ही इन नवीन उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन में भी मदद करते हैं, जिससे अपार संपत्ति सृजन की संभावनाएं उत्पन्न होती हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य देश में एक मजबूत आईपी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना और छत्तीसगढ़ राज्य के एमएसएमई, स्टार्टअप और अन्य संबंधित हितधारकों को अधिक आईपी आवेदन पंजीकृत करने और अपने नवाचारों की रक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करना था। इस कार्यक्रम में PHDCCI के सीईओ और महासचिव डॉ. रणजीत मेहता, PHDCCI छत्तीसगढ़ राज्य चैप्टर के चेयरमैन श्री प्रदीप टंडन, राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा PHDCCI के सलाहकार डॉ. एच. पी. कुमार, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के आरकेवीवाई, रफ्तार एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर के प्रमुख एवं मुख्य अन्वेषक-सीईओ डॉ. हुलास पाठक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, छत्तीसगढ़ सरकार के वैज्ञानिक डॉ. अमित दुबे, एमएसएमई-डीएफओ रायपुर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के सहायक निदेशक श्री इरपाटे किशोर, यूनाइटेड एंड यूनाइटेड के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं एसोसिएट-लिटिगेशन एवं अभियोजन श्री सोमनाथ डे, PHDCCI की निदेशक सुश्री कंचन जुत्शी और PHDCCI छत्तीसगढ़ राज्य चैप्टर के सह-अध्यक्ष श्री भरत बजाज जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में एमएसएमई, स्टार्टअप, इनक्यूबेटर और प्रौद्योगिकी संस्थानों के 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अपने उद्घाटन भाषण में PHDCCI के सीईओ और महासचिव डॉ. रणजीत मेहता ने आईपी यात्रा कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया और देश में नवाचारों के सृजन और पंजीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत आईपीआर के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और पंजीकरण की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और ब्रांडों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत युवाओं का देश है, जिनमें अपार प्रतिभा और बौद्धिक गहराई है, जिसका व्यावसायिक लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों से आईपीआर को सफलता के उपकरण के रूप में अपनाने का आग्रह किया। PHDCCI छत्तीसगढ़ राज्य चैप्टर के चेयरमैन श्री प्रदीप टंडन ने अपने स्वागत संबोधन में सभी उपस्थित लोगों का अभिनंदन किया और आज के समय में बौद्धिक संपदा (आईपी) सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और व्यापार रहस्य जैसे आईपी अधिकार एमएसएमई, व्यवसायों, उद्यमियों, कलाकारों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आईपी यात्रा कार्यक्रम विशेषज्ञों, कानूनी पेशेवरों, उद्योग के नेताओं और नवाचारकर्ताओं को बौद्धिक संपदा के विभिन्न पहलुओं, कानूनी ढांचे और व्यावहारिक अनुप्रयोगों को समझने के लिए एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी प्रमुख वक्ताओं, पैनलिस्टों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया।
एनएसआईसी के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एवं PHDCCI के सलाहकार डॉ. एच. पी. कुमार ने अपने थीम संबोधन में नवाचारकर्ताओं और उद्यमियों को इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उन्हें आईपी आवेदन दायर करने से पहले अपनी अवधारणाओं को किसी के साथ साझा न करने की सलाह दी। उन्होंने एमएसएमई को PHDCCI के बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र (IPFC) के माध्यम से नि:शुल्क आईपी आवेदन दायर करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई और पहले ही उस विचार को पंजीकृत कर लेता है, तो वह व्यक्ति उसका कानूनी स्वामी बन जाएगा और मूल नवाचारकर्ता अपनी मेहनत का लाभ नहीं ले पाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों को दायर करना महत्वपूर्ण है और एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार इस प्रक्रिया में सभी एमएसएमई को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करता है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. हुलास पाठक ने ज्ञान साझा करने की महत्ता पर बल दिया, लेकिन साथ ही नवाचारों की सुरक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में एमएसएमई, स्टार्टअप और नवाचारकर्ताओं के लिए अपार संभावनाएं हैं क्योंकि इस क्षेत्र में नए उत्पादों और अनुसंधान-आधारित नवाचारों के लिए एक विशाल बाजार उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय कृषि और संबंधित उद्योगों में व्यापक अनुसंधान करता है, जिससे नवाचार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं। छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक डॉ. अमित दुबे ने कहा कि अनुसंधान पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसका क्रियान्वयन अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि भारत ने विश्व स्तर पर सबसे अधिक 4 लाख शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, लेकिन असली चुनौती इनका व्यावहारिक उपयोग सुनिश्चित करना है। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के कंप्यूटर उद्योग में क्रांति लाने का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान में भारत एआई अनुप्रयोगों में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने उद्यमियों को अपने उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग स्वयं करने की सलाह दी ताकि वे अपने नवाचारों का पूरा लाभ उठा सकें। एमएसएमई-डीएफओ रायपुर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के सहायक निदेशक श्री इरपाटे किशोर ने अपने मुख्य संबोधन में एमएसएमई के लिए उपलब्ध विभिन्न योजनाओं और वित्तीय सहायता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार का उद्देश्य एमएसएमई और व्यवसायों को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ावा देना है। उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), मुद्रा लोन योजना, कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर (CFC) योजना, ज़ेड योजना, लीन योजना और एमएसएमई इनोवेटिव योजना सहित मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि यदि एमएसएमई के उत्पाद वैश्विक मानकों को पूरा करते हैं, तो सरकार उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने की सभी लागत वहन करती है।
उद्घाटन सत्र के बाद कार्यशाला के तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विशेषज्ञों ने आईपी पंजीकरण और उसकी प्रक्रियाओं, पेटेंट/नवाचार और एमएसएमई के लिए सरकारी सहायता सहित आईपी से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। कार्यशाला में बौद्धिक संपदा (आईपी) के महत्व को न केवल नवाचारों की पहचान और सुरक्षा के लिए बल्कि ब्रांड निर्माण और विपणन के लिए भी रेखांकित किया गया। मजबूत आईपी सुरक्षा संपत्ति सृजन और आर्थिक विकास में सहायक होती है। यह कार्यशाला दो दिनों तक चलेगी, जिसमें लाइसेंसिंग और फ्रेंचाइज़िंग, निवेश और वित्त पोषण के लिए आईपी का लाभ उठाने, संयुक्त उपक्रम और रणनीतिक गठबंधन, बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रभावी संरक्षण और प्रवर्तन, और बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडात्मक प्रावधानों पर चर्चा की जाएगी। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को आईपी विशेषज्ञों से चर्चा करने और हेल्पडेस्क के माध्यम से अपने आईपी से संबंधित प्रश्नों का समाधान प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। आईपी हेल्पडेस्क प्रतिभागियों को आईपीआर पंजीकरण प्रक्रिया को समझने, मंत्रालय की योजनाओं के तहत प्रतिपूर्ति प्राप्त करने और आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए उपलब्ध रहेगा।