MP कांग्रेस का नया दांव: अब जिलाध्यक्ष बनने के लिए देना होगा इंटरव्यू, संगठन में पारदर्शिता लाने की तैयारी

मध्य प्रदेश कांग्रेस: पारदर्शिता की नई शुरुआत? क्या बदलेगा राजनीतिक माहौल?-मध्य प्रदेश की कांग्रेस पार्टी ने अपनी छवि को नया रूप देने और पार्टी के भीतर मजबूती लाने के लिए एक नया कदम उठाया है। जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए अब इंटरव्यू का सहारा लिया जाएगा। यह कदम पार्टी के भीतर व्याप्त गुटबाजी और परिवारवाद के आरोपों से पार पाने की दिशा में कितना कारगर होगा, यह तो समय ही बताएगा।
पार्टी की पुरानी छवि और बदलाव की कोशिशें-कांग्रेस पार्टी लंबे समय से परिवारवाद और गुटबाजी जैसे आरोपों से जूझ रही है। नेताओं के बीच आपसी मतभेद और पार्टी के खिलाफ बयानबाजी भी आम बात रही है। इस नई पहल से पार्टी अपनी पुरानी छवि को बदलने और जनता का विश्वास जीतने की कोशिश में है। इंटरव्यू के जरिए उम्मीद है कि योग्यता के आधार पर जिला अध्यक्षों का चयन होगा।
AICC की टीम करेगी जमीनी स्तर पर जांच-हर जिले में AICC की एक टीम भेजी जाएगी जो स्थानीय कार्यकर्ताओं, समाज के लोगों और उम्मीदवारों से बातचीत करेगी। यह टीम सिर्फ उम्मीदवारों पर ही ध्यान नहीं देगी बल्कि संगठन के प्रति समर्पित और मेहनती कार्यकर्ताओं की भी तलाश करेगी। इससे सही व्यक्ति को सही जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है।
योग्यता होगी सबसे बड़ी कसौटी-इंटरव्यू में उम्मीदवारों की योग्यता, संगठनात्मक अनुभव और स्थानीय स्तर पर उनकी पकड़ का आकलन किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय पैनल के सदस्य इस इंटरव्यू में शामिल होंगे और अंतिम फैसला AICC करेगा। यह प्रक्रिया पार्टी के भीतर एक नया और पारदर्शी माहौल बनाने की कोशिश है।
अनुभवी नेताओं की अहम भूमिका-जिलों में भेजी जाने वाली टीमों में अनुभवी नेता शामिल होंगे जो स्थानीय राजनीति, जातीय समीकरण और कार्यकर्ताओं की स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं। ये नेता जिलों का दौरा करने के बाद भोपाल में बैठकें करेंगे और अंतिम रिपोर्ट तैयार करेंगे।
कांग्रेस का दावा और बीजेपी का पलटवार-कांग्रेस का दावा है कि यह कदम संगठन को मजबूत करने और काबिल लोगों को जिम्मेदारी देने की दिशा में उठाया गया है। लेकिन बीजेपी ने इस कदम को दिखावा और धोखा बताया है और कांग्रेस पर परिवारवाद और गुटबाजी का आरोप लगाया है।
क्या होगा आगे?-यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का यह नया प्रयोग कितना सफल होता है। अगर यह प्रक्रिया ईमानदारी से लागू होती है तो इससे पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और संगठन मजबूत होगा। आने वाले समय में इसका असर मध्य प्रदेश की राजनीति पर साफ दिखाई देगा।