उत्तराखण्ड

आधुनिक भारतीय संस्कृति में गोरखा समाज की अहम भूमिका, एक है भारत-नेपाल की जड़ें और मूल : मुख्यमंत्री धामी

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गोरखा समाज का इतिहास गौरवशाली संस्कृति, समृद्ध परंपराओं और अदम्य वीरता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि दशैं पर्व मां दुर्गा की उपासना और उनके नौ दिव्य रूपों की आराधना को समर्पित है। यह पर्व सच्चाई और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। सत्य, धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने से बुराई पर सदैव अच्छाई की विजय होती है। उन्होंने कहा कि दशैं पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसके माध्यम से हम अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों और सामाजिक मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाते हैं।

गोरखा दशै: दीपावली महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को गढ़ीकैंट पहुंचे मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अनेकों क्षेत्रों में गोरखा समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य सरकार गोरखा समाज की सांस्कृतिक धरोहरों को भी बढ़ावा देने लिए विशेष प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग में गोर्खा दशैं-दीपावली सांस्कृतिक महोत्सव को भी शामिल कर हर संभव अनुदान की व्यवस्था की जाएगी। गोरखा समाज की सांस्कृतिक परंपराओं और धरोहरों के संरक्षण-संवर्धन के लिए सरकार कार्य करती रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक भारतीय संस्कृति में गोरखा समाज की अहम भूमिका है। यह सांस्कृतिक घनिष्ठता दिखाता है कि हमारी जड़ें और मूल एक ही हैं। गोरखा समाज का मातृभूमि की रक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान है। गोरखा समाज ने सदियों से देश की सीमाओं की रक्षा की है। अमर वीर मेजर दुर्गा मल्ल, परमवीर चक्र से सम्मानित धन सिंह थापा और प्रथम अशोक चक्र विजेता नर बहादुर थापा के अद्वितीय शौर्य को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1962 कारगिल युद्ध जैसे अनेकों युद्ध में भी गोरखा रेजिमेंट के जवानों ने हर मोर्चे पर अपनी बहादुरी का परिचय दिया। जवानों ने देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ अपने कर्तव्यों का हमेशा पालन किया है। गोरखा समाज सीमाओं की रक्षा के साथ राज्य के विकास में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राज्य सरकार गोरखा समाज के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और उनके विकास व कल्याण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इस दौरान नेपाल के राजदूत डॉ. सुरेंद्र थापा, विधायक विनोद चमोली, ले. जनरल राम सिंह प्रधान, चंद्रवीर गायत्री, कमल थापा, विशाल थापा, सूर्य विक्रम शाही आदि उपस्थित थे।

वीर गोर्खा कल्याण समिति के अध्यक्ष कमल थापा ने बताया कि कलाकारों ने गोरखाली संस्कृति के विभिन्न रंग, कला दिखा व गीत सुना गोरखाली संस्कृति के बारे में बताया। नेपाल की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। विभिन्न प्रकार के स्टॉलों में गोर्खाली पारम्परिक वेषभूषा एवं परिधानों की प्रदर्शनी में खरीदारी शुरू हो गई है। गोर्खा दशैं-दीपावली महोत्सव में नेपाली हथकरघा से बने उत्पादों का बोलबाला रहा। ढाका धागा से बने उत्पाद जैसे ढाका टोपी, नेपाली साड़ी, घलक, लुंगी व नेपाली पारम्परिक वस्त्रों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। साथ ही नेपाली संस्कृति से जुड़े आभूषण, टोपे, छटके तिलेरी जैसे सुन्दर गहने भी आकर्षण का केंद्र हैं।

समिति के महासचिव विशाल थापा ने बताया कि महोत्सव में गोरखाली संस्कृति की धूम है। तीन दिन तक चलने वाले गोर्खा दशैं-दीपावली महोत्सव में नेपाल क्षेत्र की सदियों पुरानी संस्कृति, सभ्यता, परंपराओं और जनजातीय जीवनशैली की अनुपम झलक देखने को मिलती है। समिति के कोषाध्यक्ष टेकु थापा ने बताया कि मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ भारत-नेपाल के कलाकारों और उनके संस्कृतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। महोत्सव में पहुंचे मेहमानों ने गोरखा व्यंजनों का स्वाद भी चखा। इसमें प्रमुख रूप से सेल रोटी और गोरखा चटनी है।

समिति के सांस्कृतिक सचिव देवकला दीवान ने बताया कि गोर्खा दशैं-दीपावली महोत्सव के दूसरे दिन बच्चों ने नेपाली परंपरागत तामाङ सेलो डांस की प्रस्तुति दी। साथ ही खुखरी डांस की प्रस्तुति भी दी। वीर गोर्खा कल्याण समिति के सचिव देविन शाही ने नेपाली गाने की प्रस्तुति दी। नेपाली लोकगायिका निर्जरा गुरुंग ने सुमधुर गाने से लोगों का दिल जीत लिया। इस मौके पर हिन्दी गानों पर उत्तराखंड की जानी मानी लोकगायिका कलाकार सोनाली राई ने टक्कान-टुकउन और कश्मीरयी पछाऊरी दर्शकों के सामने प्रस्तुत की।

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