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छोटे बच्चों का ज्यादा स्क्रीन टाइम सही या गलत? जानें सही तरीका

आजकल छोटे बच्चे बहुत जल्दी मोबाइल, टीवी और टैबलेट देखने के आदी हो जाते हैं। कई बार माता-पिता भी बच्चों को व्यस्त रखने के लिए स्क्रीन का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम आपके बच्चे की भाषा सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है? एक अंतरराष्ट्रीय शोध में पाया गया है कि अगर छोटे बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं, तो उनका भाषा विकास धीमा हो सकता है।

शोध में क्या निकले नतीजे – यह अध्ययन 20 लैटिन अमेरिकी देशों में किया गया, जिसमें 1 से 4 साल की उम्र के 1,878 बच्चों को शामिल किया गया। इस शोध में बच्चों के माता-पिता से पूछा गया कि उनके बच्चे कितनी देर स्क्रीन देखते हैं, वे किताबों से कितना जुड़े हैं और उनका भाषा विकास कैसा हो रहा है। साथ ही, परिवार की आर्थिक स्थिति और माता-पिता की शिक्षा और नौकरी पर भी ध्यान दिया गया। शोध में यह पाया गया कि छोटे बच्चे सबसे ज्यादा टीवी देखते हैं और औसतन एक घंटे से अधिक स्क्रीन के सामने बिताते हैं। जिन बच्चों ने ज्यादा स्क्रीन टाइम लिया, उनकी भाषा सीखने की गति धीमी पाई गई। खासकर मनोरंजन से जुड़े प्रोग्राम ज्यादा देखे जाते हैं, जबकि एजुकेशनल प्रोग्राम कम देखे जाते हैं।

बच्चों का स्क्रीन टाइम कैसे करें कंट्रोल?

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे की भाषा सीखने की क्षमता अच्छी बनी रहे, तो स्क्रीन टाइम को सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है।

1. बच्चों के साथ स्क्रीन देखें और समझाएं

अगर बच्चा टीवी या मोबाइल देख रहा है, तो उसे अकेला छोड़ने के बजाय उसके साथ बैठें और उसे समझाएं कि स्क्रीन पर क्या हो रहा है। इससे बच्चा सिर्फ देखने के बजाय चीजों को समझने की कोशिश करेगा।

2. बच्चों को किताबों से जोड़ें

बच्चे को रोज़ किताबें पढ़ने की आदत डालें। इससे उसकी शब्दावली बढ़ेगी और उसकी भाषा सीखने की क्षमता मजबूत होगी। साथ ही, यह उसकी सोचने-समझने की ताकत को भी बेहतर बनाएगा।

3. एजुकेशनल कंटेंट दिखाएं

अगर बच्चा स्क्रीन देख ही रहा है, तो उसे सिर्फ मनोरंजन वाले कार्टून या वीडियो न दिखाएं। उसकी जगह एजुकेशनल और इंटरएक्टिव कंटेंट दिखाएं, जिससे वह कुछ नया सीख सके।

4. स्क्रीन टाइम पर लिमिट लगाएं

छोटे बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को सीमित रखना बहुत जरूरी है। 1 से 4 साल के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम एक घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कोशिश करें कि बच्चे की स्क्रीन देखने की आदत को रेगुलर टाइमिंग में बांध दें, ताकि वह स्क्रीन का आदी न बने।

आर्थिक स्थिति का भी पड़ता है असर – शोध में यह भी सामने आया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को किताबों और शैक्षिक संसाधनों से कम जोड़ा जाता है। इससे उनकी भाषा सीखने की क्षमता पर और ज्यादा असर पड़ता है।

ज्यादा स्क्रीन देखने से बच्चों पर क्या असर पड़ता है – जब बच्चे ज्यादा स्क्रीन देखते हैं, तो उनके पास नए शब्द सीखने के कम मौके होते हैं। वे शब्दों को पहचानने और बोलने में ज्यादा समय लगाते हैं। इससे उनकी स्कूल की शुरुआती पढ़ाई में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा, ज्यादा स्क्रीन देखने वाले बच्चों को बातचीत करने और अपनी भावनाएं जाहिर करने में भी परेशानी हो सकती है।

बच्चों के सही विकास के लिए अपनाएं यह तरीका – अगर बच्चे किताबों से जुड़े रहें और घर के बड़े उनके साथ स्क्रीन देखें और उन्हें समझाएं, तो उनकी भाषा सीखने की क्षमता बेहतर हो सकती है। इसलिए, जरूरी है कि माता-पिता बच्चों के स्क्रीन टाइम को सही तरीके से मैनेज करें, ताकि उनका मानसिक विकास सही दिशा में हो और वे भाषा को आसानी से सीख सकें।

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