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दिल्ली चुनाव 2025,सत्ता परिवर्तन और भाजपा का सरकार बनने का दिलचस्प संयोग

दिल्ली चुनाव 2025: दिल्ली में 5 फरवरी को सभी 70 सीटों पर वोटिंग होगी, और इसके परिणाम 8 फरवरी को सामने आएंगे। इसके बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस बार दिल्ली की कमान किसके हाथ में होगी। इस बार चुनाव में काफी कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। हालांकि, दिल्ली में सत्ता परिवर्तन से जुड़ी एक दिलचस्प बात सामने आई है, जिसे जानकर शायद आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। दिल्ली न केवल देश की राजधानी है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत है। यहां के राजनीतिक बदलावों में भी कई खास घटनाएं घटी हैं। जब भी दिल्ली में सत्ता बदली है, एक दिलचस्प पैटर्न नजर आया है, जिसमें हर बार सत्ता परिवर्तन के दौरान एक महिला मुख्यमंत्री ने दिल्ली की कमान संभाली है।

दिल्ली चुनाव 2025 सत्ता परिवर्तन में हमेशा महिला मुख्यमंत्री का रहा नेतृत्व इस लेख में हम उसी पैटर्न पर गौर करेंगे, जिसमें सत्ता परिवर्तन के समय महिला नेताओं ने अपनी अहम पहचान बनाई और दिल्ली की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली की वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी से पहले जो दो महिला मुख्यमंत्री बनी थीं, उनमें बीजेपी की सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित का नाम प्रमुख है। सुषमा स्वराज (1998): सुषमा स्वराज ने दिल्ली में पहली बार महिला मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचा। 1998 में जब प्याज की कीमतों में वृद्धि के कारण तब के मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा, तो सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, उनका कार्यकाल महज 52 दिनों का रहा, और इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी बुरी तरह हार गई। 1993 में बीजेपी को 49 सीटें मिली थीं, लेकिन 5 साल बाद वह केवल 15 सीटों पर सिमट गई। बावजूद इसके, सुषमा स्वराज की नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक कौशल ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया।

शीला दीक्षित (1998-2013): शीला दीक्षित दिल्ली की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाली महिला थीं। उन्होंने तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और उनके कार्यकाल में दिल्ली के विकास के लिए कई अहम कदम उठाए गए। मेट्रो रेल की शुरुआत, सड़कों का निर्माण और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विस्तार उनके कार्यकाल के महत्वपूर्ण हिस्से थे। उनके नेतृत्व में दिल्ली ने तीव्र शहरीकरण और विकास देखा, और शीला दीक्षित ने दिल्ली को एक बेहतर और आधुनिक जगह बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। 1998 में कांग्रेस ने चुनाव जीता और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। फिर उन्होंने 2003 और 2008 में भी जीत हासिल की। हालांकि, 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने सत्ता में आकर कांग्रेस को बाहर किया, लेकिन कांग्रेस ने फिर भी AAP को समर्थन दिया और 49 दिनों तक सरकार बनाई। इसके बाद 2015 में AAP ने शानदार जीत हासिल की और दिल्ली में सत्ता में वापस आई। आतिशी सिंह (2020 – वर्तमान): अब, आतिशी सिंह जो दिल्ली की राजनीति में एक नई उम्मीद के रूप में उभरी हैं, महिलाओं के लिए प्रेरणा देने वाली नेता बनकर सामने आई हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी पहल ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है। उनके नेतृत्व में दिल्ली की जनता को कई नई योजनाओं का फायदा हुआ है, खासकर बच्चों और युवाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हालांकि, अब यह चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा कि सत्ता परिवर्तन के इस अनोखे पैटर्न का कितना प्रभाव पड़ता है और यह दिल्ली की राजनीति को किस दिशा में लेकर जाएगा।

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