
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: उत्तराखंड के देवप्रयाग सौड़ से जनासू के बीच बन रही भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग, जो 14.57 किलोमीटर लंबी है, का सफलतापूर्वक ब्रेक-थ्रू हो गया है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किलोमीटर लंबी इस ब्रॉडगेज रेल लाइन पर कुल 17 सुरंगें बनाई जा रही हैं, जिनमें से लगभग 104 किलोमीटर का रेल मार्ग सुरंगों के अंदर से गुजरेगा। इसी में देवप्रयाग सौड़ से जनासू के बीच बन रही सबसे लंबी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल विकास निगम लिमिटेड ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ब्रेक-थ्रू के बाद, रेल मंत्री और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुरंग का निरीक्षण किया और निर्माण कार्यों का जायजा लिया। रेल मंत्री ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही यहां ट्रेनें चलने लगेंगी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। उन्होंने यह भी बताया कि देवप्रयाग सौड़ से जनासू तक की 14.57 किलोमीटर लंबी रेलवे सुरंग न केवल उत्तराखंड की, बल्कि पूरे भारत की सबसे लंबी सुरंग है। यह पहली बार है जब केंद्र सरकार की पहल पर पहाड़ी इलाकों में रेल सुरंग बनाने के लिए टीबीएम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 9.11 मीटर व्यास वाली इस सिंगल-शील्ड रॉक टीबीएम ने काम में जो तेजी और सटीकता दिखाई है, वह वैश्विक स्तर पर एक नया मापदंड स्थापित करेगी। आरवीएनएल ने भारत के सबसे मुश्किल इलाकों में आधुनिक निर्माण तकनीक में अपनी मजबूत जगह बनाई है। यह सफलता सिर्फ एक सुरंग की कहानी नहीं है, बल्कि एक नए, मजबूत और जुड़े भारत की शुरुआत है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पहाड़ पर रेल का सपना जल्द ही साकार होगा। जनासू (पौड़ी गढ़वाल) में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतर्गत सुरंग संख्या T-8 और T-8M का ऐतिहासिक ब्रेकथ्रू हो गया है। इन 14.57 किलोमीटर लंबी डबल ट्यूब सुरंगों का निर्माण अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (TBM) के माध्यम से सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। यह परियोजना ‘नए और सशक्त भारत’ के विजन और उत्तराखंड को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के संकल्प को साकार करती है। यह परियोजना निश्चित रूप से राज्य की कनेक्टिविटी, पर्यटन, अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए नई संभावनाएं खोलेगी। उन्होंने कहा कि हर सुरंग, हर पुल और हर स्टेशन राज्य के विकास का प्रवेश द्वार है। यह सिर्फ एक इंजीनियरिंग उपलब्धि नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य को नई दिशा देने वाला एक परिवर्तनकारी कदम है। देवप्रयाग-सौड़ से श्रीनगर जनासू तक की यह सुरंग तकनीकी दृष्टि से भी एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने यह भी बताया कि टनकपुर बागेश्वर रेल परियोजना का सर्वे भी हो चुका है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रोजेक्ट एक नजर में:
- ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबी नई रेल लाइन का निर्माण होना है।
- 80 फीसदी हिस्सा टनल से होकर गुजरेगा, यानी 104 किमी।
- देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गोचर और कर्णप्रयाग इलाकों को होगा फायदा।
- नई लाइन में 12 नए स्टेशन बनेंगे:
- ऋषिकेश
- शिवपुरी
- बाईसल
- देवप्रयाग
- जनासू
- मलेथा
- श्रीनगर
- धारीदेवी
- तिलानी
- घोलतिर
- गोचर
- कर्णप्रयाग
- रेल लाइन में कुल 38 ब्रिज बनेंगे, जिनमें से 19 मेजर ब्रिज हैं, जिनमें 5 प्रमुख ब्रिज भी शामिल हैं।
- 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है।