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छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के बाद Coldrif कफ सिरप पर बैन, सरकार ने सख्त कदम उठाए

बच्चों की मौत के बाद सरकार का बड़ा एक्शन: क्या है पूरा मामला?-छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में 14 बच्चों की दुखद मौत के बाद, राज्य सरकार ने तुरंत एक कड़ा कदम उठाया है। सरकार ने Coldrif कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस सिरप में एक खतरनाक ज़हरीला तत्व था, जिसने बच्चों की किडनी को फेल कर दिया। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जो शरीर के लिए बहुत ज़हरीला होता है। इस घटना के बाद, पूरे राज्य में इस दवा की बिक्री, वितरण और भंडारण पर रोक लगा दी गई है।केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छह राज्यों में 19 दवाओं की फैक्ट्रियों का निरीक्षण शुरू कर दिया है, जिनमें कफ सिरप और एंटीबायोटिक्स शामिल हैं। सरकार का यह कदम इसलिए है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाजार में बिक रही कोई और दवा बच्चों के लिए घातक न हो।

 कैसे हुआ यह हादसा और कहां-कहां हुई मौतें?-यह दुखद घटना छिंदवाड़ा जिले के परासिया उपमंडल में हुई, जहां 7 सितंबर से अब तक 14 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से 11 बच्चे परासिया क्षेत्र के थे, दो छिंदवाड़ा शहर के और एक चौरेई तहसील का था। प्रशासन का कहना है कि बच्चों की मौत का कारण किडनी फेल्योर था। फिलहाल छह बच्चों का इलाज चल रहा है, जिनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है।स्थानीय एसडीएम सौरभ कुमार यादव ने बताया कि परासिया क्षेत्र में पहले ही Coldrif और एक अन्य सिरप Nextro-DS की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। शनिवार को Coldrif की रिपोर्ट आने के बाद, उसमें ज़हरीला रासायनिक तत्व मिलने की पुष्टि हुई। Nextro-DS की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। इस घटना के बाद हर परिवार में मातम छाया हुआ है और प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।

 टेस्ट रिपोर्ट में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई-तमिलनाडु ड्रग टेस्टिंग लैब की रिपोर्ट के अनुसार, Coldrif सिरप (बैच नंबर SR-13, मैन्युफैक्चर मई 2023, एक्सपायरी अप्रैल 2027) में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 48.6% पाई गई। यह एक ज़हरीला पदार्थ है जो मानव शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होता है और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।इस सिरप को Sresan Pharmaceuticals नाम की कंपनी द्वारा कांचीपुरम (तमिलनाडु) में बनाया गया था। रिपोर्ट आने के बाद मध्य प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने तुरंत पूरे राज्य में इस दवा की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया। साथ ही कंपनी के अन्य उत्पादों को भी फिलहाल बाजार से हटाने का निर्देश दिया गया है, जब तक कि उनकी जांच पूरी नहीं हो जाती।

मुख्यमंत्री ने जताया दुख, दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश-मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना को “बेहद दर्दनाक और अस्वीकार्य” बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि इस घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि न केवल Coldrif बल्कि इस दवा को बनाने वाली कंपनी के सभी उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है।तमिलनाडु सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को Coldrif सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहां भी मध्य प्रदेश जैसी ही घटनाएं सामने आई थीं, जहां कुछ बच्चों की मौत संदिग्ध किडनी संक्रमण के कारण हुई थी। सरकारों ने अब इस कंपनी और उसकी दवाओं पर कड़ी जांच का आदेश दिया है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।

 केंद्र सरकार भी एक्शन में, सैंपल की जांच जारी-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि CDSCO अब देशभर में 19 दवाओं के उत्पादन केंद्रों का जोखिम आधारित निरीक्षण कर रहा है। इसमें कफ सिरप और एंटीबायोटिक दवाओं की जांच प्राथमिकता पर की जा रही है।वहीं, छिंदवाड़ा में हुई बच्चों की मौतों की वजह जानने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे, ICMR, AIIMS नागपुर, NEERI और CDSCO की संयुक्त टीम जांच में जुटी है। इन संस्थानों के विशेषज्ञ दवा के सैंपल, बच्चों के ब्लड और टिशू सैंपल की जांच कर रहे हैं ताकि यह तय किया जा सके कि मौत का कारण ज़हरीला रसायन ही था या कुछ और।

दिल दहलाने वाली त्रासदी से क्या सबक मिला?-छिंदवाड़ा की यह घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि दवाओं की गुणवत्ता में लापरवाही कितनी घातक हो सकती है। बच्चों की जान जाने के बाद प्रशासन और सरकार अब सतर्क हो गए हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इतनी बड़ी त्रासदी के बाद अब सख्त नियमन और बेहतर निगरानी का सिस्टम बनेगा?जनता को भी सावधान रहने की ज़रूरत है — बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी सिरप या दवा बच्चों को न दें। यह घटना सिर्फ एक जिले की नहीं, बल्कि पूरे देश की चेतावनी है कि दवा उद्योग में निगरानी और पारदर्शिता को और मजबूत करने का समय आ गया है।

 

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