गायों को रोटी खिलाते वक्त सीएम मोहन यादव से हुई एक चूक, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में सीएम भोपाल स्थित अपने सरकारी निवास में गौ सेवा करते नजर आ रहे हैं। वो कभी गायों को प्यार से पुचकारते दिख रहे हैं, तो कभी उन्हें रोटियां खिलाते नजर आ रहे हैं। देखने में ये वीडियो काफी भावुक और सुकून देने वाला है, लेकिन एक छोटी सी गलती ने इस नेक काम को भी लोगों की आलोचनाओं के घेरे में ला दिया है।
गायों से प्यार तो दिखा, लेकिन ‘जूते’ ने कर दिया माहौल गर्म – वीडियो में सीएम मोहन यादव पूरी श्रद्धा से गायों को रोटियां खिला रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह काम जूते पहनकर किया। यही बात लोगों को पसंद नहीं आई। कई यूजर्स ने तुरंत इस बात को पकड़ लिया और सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। एक यूजर ने लिखा, “गौ माता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, आप जूते पहनकर उन्हें रोटी खिला रहे हैं, ये ठीक नहीं है।” दूसरे यूजर ने कहा, “अगर आप पत्नी से बनाई रोटी लाकर बिना जूते पहने गाय को खिलाते, तो ज़्यादा पुण्य मिलता। इस वीडियो को लेकर अब ये बहस शुरू हो गई है कि क्या जूते पहनकर किसी को श्रद्धा या सेवा देना सही है या नहीं। खास बात ये है कि कुछ दिन पहले सीएम मोहन यादव ने खुद राहुल गांधी को इसी वजह से नसीहत दी थी, जब राहुल ने भोपाल दौरे पर जूते पहनकर अपनी दादी इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। अब वही गलती उन्होंने खुद कर दी है, तो लोग उन्हें याद दिला रहे हैं।
लोगों ने उठाए सवाल, कहा – “नेता वही जो आस्था की मर्यादा भी समझे – लोगों की नाराजगी सिर्फ जूतों तक ही सीमित नहीं रही। कई यूजर्स ने इस मौके पर सरकार से ये भी अपील की कि गायों की रक्षा केवल रोटियां खिलाकर नहीं हो सकती। कुछ ने ये भी कहा कि जो गायें सड़कों पर दुर्घटनाग्रस्त हो रही हैं, उनका इलाज कराना या उनकी देखभाल करना ज़्यादा जरूरी है। यह बात सच है कि गायों को रोटी खिलाना पुण्य का काम माना जाता है, लेकिन भारतीय समाज में इसकी अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। ऐसे में अगर कोई नेता ऐसा काम करता है, तो उससे उम्मीद की जाती है कि वो हर छोटे-बड़े पहलू का ध्यान रखे। लोग चाहते हैं कि जब आम लोग मंदिरों में बिना चप्पल-जूते के जाते हैं, तो नेताओं से भी यही उम्मीद की जाती है।
क्या आगे से दिखेगी ज़्यादा सजगता? जनता कर रही है उम्मीद – हालांकि, वीडियो की भावना गलत नहीं है, लेकिन ये भी सच है कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों के हर काम पर लोगों की नज़र रहती है। फिर चाहे वो मंच से दिया गया भाषण हो या फिर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया कोई निजी वीडियो। अब देखना ये है कि क्या मोहन यादव इस फीडबैक को सकारात्मक रूप से लेंगे? क्या अगली बार वो बिना जूते गायों को रोटी खिलाते नजर आएंगे? क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर हर छोटी-बड़ी बात तेजी से वायरल होती है और जनता भी हर चीज को लेकर ज्यादा सजग हो गई है।इस पूरी घटना से एक बात तो साफ है – अगर आप सार्वजनिक जीवन में हैं, तो श्रद्धा और व्यवहार के संतुलन को समझना बहुत जरूरी हो जाता है। नेताओं के लिए यही छोटी-छोटी बातें उनके प्रति लोगों के सम्मान या नाराजगी की वजह बनती हैं।