मध्यप्रदेश

सुशासन के दावे खोखले! सिंगरौली में मनरेगा उपयंत्रियों को 5 माह से वेतन नहीं

सिंगरौली : मध्यप्रदेश में सभी जिलों में सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि वर्तमान में सुशासन का ढोल पीट रहे हैं.यह ढोल सिर्फ दूर से सुनने में ही सुहावना लगता है.जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है. क्योंकि सरकार के ही कर्मचारी इस सुशासन में मायूस हैं. सिंगरौली जिले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संविदा कर्मी व उपयंत्रियों की गुहार सुनने वाला कोई नहीं है.जिले में पदस्थ दर्जन भर मनरेगा उपयंत्रियों को पिछले लगभग 5 माह से तनख्वाह के एक पैसे नसीब नहीं हुए.वेतन न मिलने के कारण अब इनके सामने आर्थिक तंगी जैसे हालात बनने लगे हैं.

घरेलू जरूरतों जैसे बच्चों की पढ़ाई, परिजनों के उपचार इत्यादि के अलावा शासकीय काम करने में भी तरह – तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.उपयंत्रियों ने बताया कि वेतन न मिलने के कारण काम करने में भी कठिनाई हो रही है.क्योंकि जांच,निरीक्षण व मूल्यांकन जैसे कार्यों लिए दूर स्थित ग्राम पंचायतों में जाना पड़ता है.

पहले बजट का हवाला फिर भुगतान प्रणाली में बदलाव

शासन ने भुगतान के लिए एसएनए-स्पर्श प्रणाली शुरू की है.इसमें ट्रेज़री के माध्यम से भुगतान करने की व्यवस्था की गई है.लेकिन अभी तक बजट न होना ही भुगतान में देरी की मुख्य वजह थी.हालांकि मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद् ने बीते 19 दिसंबर को जारी एक पत्र में 94 करोड़ 24 लाख 21 हजार रुपए का बजट आवंटन होने की जानकारी दी है.जिसमें मप्र के रोजगार सहायकों व अन्य संविदा कर्मचारियों का जुलाई से नवंबर माह तक का भुगतान किया जाएगा.

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